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मानसून में गन्ना की बंपर पैदावार के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को बताये गुर

नकदी फसल गन्ना मानसून की बारिश के साथ चिंता भी लेकर आता है। गन्ने का गिरना, गन्ने का पीला पड़ना और कीट रोगों का प्रकोप बढ़ने की होती है. कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, पश्चिम चंपारण बिहार के प्रमुख डॉ. आर.पी. सिंह ने जुलाई माह में गन्ना किसानों को जरूरी तकनीकी …

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ज़मीन की सेहत बनाने के लिए ढेंचा के बीज पर 50 फीसदी अनुदान

बाढ़ के कारण अगर किसी क्षेत्र की फसल नष्ट हो गई हो तो भी मौजूदा समय में उसमें ढैचे की खेती सबसे आसान विकल्प है। इससे न केवल रबी की फसलों का उत्पादन बेहतर होगा,बल्कि उर्वरक खासकर नेत्रजन कम लगने से खेती की लागत भी करीब 25 फीसद घट जाएगी। और उपज इसी अनुपात में बढ़ जाएगी। भूमि में कार्बनिक तत्त्वों की वृद्धि से लंबे समय में भूमि की भौतिक संरचना बदलने से होने वाला लाभ बोनस होगा। जैविक खेती के लिए ढैंचा और हरी खाद की अन्य फसलें संजीवनी साबित होगी। पूर्व उप निदेशक भूमि संरक्षण डॉक्टर अखिलानंद पांडेय के अनुसार रबी की फसलों के लिए अब भी ढैचा बोने का पर्याप्त समय है। ढैचें की खूबियों के मद्देनजर ही योगी सरकार लगातार किसानों को ढैंचा और हरी खाद की अन्य फसलों को बोने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इनके बीजों पर 50 फीसद अनुदान भी दे रही है। इस साल भी प्रति किलो दाम 90 रुपए था। इस बार अनुदान की राशि घटाकर कृषि केंद्रों पर पोओएस मशीन से विक्री हुई। पहले किसान को पूरा दाम देना पड़ता था। अनुदान की राशि संबंधित किसान के खाते में बाद में डीबीटी की जाती थी। डॉक्टर पांडेय के अनुसार सरकार और के प्रयासों की वजह से पिछले दो दशकों के दौरान किसान हरी खाद (ढैचा, सनई, उड़द एवं मूंग) की उपयोगिता को लेकर जागरूक हुए हैं। लिहाजा इनके बीजों की मांग भी बढ़ी है। प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार भी भूमि में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाने के लिए हरी खाद को प्रोत्साहित कर रही है। इन सबमें हरी खाद के लिहाज से सबसे उपयोगी ढैचा ही है।

ढैचा की फसल की जड़ों में ऐसे जीवाणु होते हैं जो हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में स्थिर कर देते हैं। इसका लाभ अगली फसल को मिलता है। उनके मुताबिक कार्बनिक तत्व मिट्टी की आत्मा होते हैं। भूमि में ऑर्गेनिक रूप से इसे बढ़ाने का सबसे आसान एवं असरदार तरीका …

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आम ही नहीं लीची की मिठास में भी आगे बढ़ेगा उत्तर प्रदेश

lichi

आने वाले कुछ वर्षों में बाजार में सिर्फ बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश के लीची की भी बहार होगी। बिहार के जिन जिलों (मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और चंपारन आदि) में लीची की खेती होती है उनकी कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) कमोबेश यूपी के पूर्वांचल के ही समान हैं। ऐसे …

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