पेट्रोल में एथोनाल के मिश्रण के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। इसके लिए चीनी मिलों का उच्चीकरण और क्षमता बढ़ाने का कामहो रहा है। दूसरी तरफ एथेनॉल के लिए जरूरी मक्का की खेती को बढ़ावा देने को मक्का की संकर नस्ल किसानों के लिए जारी की जा रही हैं।
तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) द्वारा जारी कुल 16 विभिन्न फसल किस्मों को हाल ही में केंद्र द्वारा आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किस्मों के रूप में मान्यता दी गई है। नतीजतन, इन किस्मों को किसानों को उपलब्ध कराने के लिए कृषि मंत्रालय के माध्यम से बीज उत्पादन योजनाएँ विकसित की जाएंगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जारी कुल 16 विभिन्न फसल किस्मों को हाल ही में केंद्र द्वारा आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किस्मों के रूप में मान्यता दी गई है। नतीजतन, इन किस्मों को किसानों को उपलब्ध कराने के लिए कृषि मंत्रालय के माध्यम से बीज उत्पादन योजना विकसित की जाएंगी।
विश्वविद्यालय ने हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित अखिल भारतीय मक्का अनुसंधान समन्वय बैठक में पांच प्रमुख मक्का संकर किस्मों को भी जारी किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अलदास जनैया ने घोषणा की कि संस्थान ने पांच बेहतर मक्का संकर किस्में विकसित की हैं।
एक जानकारी के मुताबिक डीएचएम 144 (तेलंगाना मक्का – 6) अपनी उच्च स्टार्च सामग्री के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे एथेनॉल उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाती है। बताया गया कि ‘डी.एच एम’ 206 (तेलंगाना मक्का – 3) शुष्क भूमि खेती के लिए उपयुक्त है और सूखे के प्रति प्रतिरोधी है। शोध से पता चलता है कि अन्य उपलब्ध मक्का किस्मों की तुलना में ‘डी एच एम’ सभी मामलों में बेहतर है।