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विदेशों में भी पसंद की जाने वाली सुगंधित धान की किस्मे

सुगंधित बासमती धान की अधिक पैदावार वाली किस्मों ने किसानों को अपना बनाया है| भारतीय किसानों का बासमती चावल अमेरिका व यूरोपीय बाज़ार में पाकिस्तान के बासमती को टक्कर देता है| पूसा द्वारा तैयार बासमती की किस्मों की सुगंध और पैदावार अधिक है|

पूसा बासमती-1637 करीब 2 साल पुरानी किस्म है| इस किस्म को यूरोप और अमेरिका में काफी पसंद किया जाता है| दरअसल, इस किस्म में कम बीमारी लगती है इसलिए कीटनाशक का इस्तेमाल भी बहुत कम होता है| पूसा बासमती-1637 की बुआई से लेकर कटाई तक 140 दिन का समय लगता है| इस धान की औसत पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| इसके अलावा पूसा बासमती 6 (पूसा 1401), पूसा 1460, सुगंधा बासमती और पूसा बासमती 1 बासमती की बेहतरीन किस्में हैं|

इसे बोने से लेकर काटने तक 140 दिन लगते हैं| पश्चिमी यूपी, हरियाणा का यमुना नगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल, पानीपत, जींद, सिरसा एवं पंजाब के पटियाला के लिए यह किस्म मुफीद है| इसमें औसत पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| लेकिन कहीं-कहीं पर 75 क्विंटल तक की पैदावार होती है|

पूसा बासमती-1121 किस्म थोड़ी पुरानी है| इसे 2005 में किसानों के लिये जारी किया गया था| लंबा चावल इसकी सबसे बड़ी खासियत है| इसके चावल का साइज 12 एमएम से भी बड़ा है| इसलिए चावल एक्सपोर्ट में इसी का ज्यादा शेयर है| औसत पैदावार 45 क्विंटल है| जबकि अधिकतम 60 तक पैदावार ली जा सकती है| इसमें सुधार करके नई किस्म आई है| नई किस्म का नाम पूसा बासमती 1718 है| पुरानी और नई किस्म में अंतर यह है कि नए में बीएलबी (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट) नामक बीमारी नहीं लगती. बाकी चीजें वही हैं|

पूसा बासमती 1509 किस्म 7-8 साल पुरानी है| बाज़ार मे इसकी अच्छी मांग है| यह कम अवधि में होने वाला धान है| बोने से काटने तक 110-115 दिन का वक्त लगता है| इसकी पैदावार का औसत 50 क्विंटल है| लेकिन कुछ जगहों पर अधिकतम 65 क्विंटल तक की पैदावार ली जा सकती है| इसमें बीमारियां भी कम हैं, इसलिए खर्च भी कम है| यह किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है| जो लोग सरसों एवं आलू की फसल लेना चाहते हैं उनके लिए यह अच्छी है| क्योंकि कम अवधि के कारण खेत जल्दी खाली हो जाता है| पंजाब, हरियाणा, यूपी, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए अच्छी किस्म है|

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