ओडिशा कॄषि विश्वविद्यालय ने मोटे अनाज वाले घोषित साल-2023 में ‘श्रीरत्न’ के नाम बाजरा की किस्म का परीक्षण कई जिलों में किया जा चुका है और जल्द ही इसे राज्य भर के किसानों के साथ ही पूरे देश में इसका बीज प्रचारित किया जाएगा। इस किस्म की खासियत यह है कि यह रबी और खरीफ दोनों मौसम के लिए है। इस किस्म को रोगमुक्त माना गया है।
ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) ने उच्च उपज देने वाली पोषण से भरपूर बाजरा की एक नई किस्म विकसित की है और इस से श्रीरत्न का नाम दिया है। श्रीरत्न के नाम के इस बाजरा की किस्म का परीक्षण राज्य के कई जिलों में किया जा चुका है और जल्द ही इसे राज्य भर के किसानों के लिए जारी कर दिया जाएगा।
ओडिशा में विकसित नई किस्म कि बाजरा श्रीरत्न के पौधे की ऊंचाई अधिक नहीं होती है। यह मध्यम आकार की हल्की भूरी पत्तियां होती हैं और हल्के पूरे रग के बीज होते हैं। इस नई किस्म की खासियत यह है कि यह 117 दिन में तैयार हो जाती है। इसके साथ ही यह भूरा धब्बा और फुट रॉट रोग के प्रति प्रतिरोधी है। बाजरा कि इस किस्म में ब्लास्ट रोग और तना छेदक, एफिस और टिड्डे का प्रकोप नहीं होता है।
दलहन अनुसंधान केंद्र और कृषि महाविद्यालय के पादप प्रजनन और आनुवंशिकी विभाग द्वारा छोटे बाजरा पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित ‘श्रीरत्न’ की औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 2,350 किलोग्राम है। जबकि बाजरा की अन्य किस्मों की उपज 1477 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
नई किस्म में अधिक स्वास्थ्य और पोषण लाभ हैं क्योंकि इसमें अन्य राष्ट्रीय और स्थानीय किस्मों की तुलना में आयरन और जिंक की मात्रा अधिक है। इसके साथ ही इसमें फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल कम करने, वजन नियंत्रित रखने, ग्लूकोज को स्थिर करने, मधुमेह से साथ साथ शुगर और ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से प्रभावित लोगों के लिए लाभदायक साबित होगा।