उत्तराखंड के चमोली जिले में खतरनाक स्थान पर बसे जोशीमठ में करीब दो साल पहले भूधंसाव शुरू हुआ था। जनवरी, 2023 में 800 से अधिक घरोंं में रातों-रात दरारें आ गईं, जिससे डरे हुए परिवारों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन एक ओर जहां सुर्खियां तो फीकी पड़ गई हैं, वहीं इस नाजुक शहर की जमीन धंसने का सिलसिला अभी भी जारी है।
डाउन टू अर्थ के विश्लेषण से पता चलता है कि दिसंबर 2022 और दिसंबर 2024 के बीच जोशीमठ के कई हिस्से 30 सेंटीमीटर से अधिक धंस गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में घनी आबादी वाले घर और एक राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, जिसमें नगर पालिका के अंदर कई हिस्से 5 सेंटीमीटर से लेकर 30 सेंटीमीटर की खतरनाक दर से घंस-ढह रहे हैं। हिमालय के सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्र जोन पांच में स्थित जोशीमठ में मात्र 17 वर्षों में निर्मित क्षेत्रफल लगभग दोगुना हो गया है, जिससे शहर विनाश की ओर अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
जोशीमठ में भूधंसाव का आकलन स्माल बेसलाइन सबसेट (एसबीएएस) एसएआर तकनीक का इस्तेमाल करके किया गया। यह तकनीक सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) की मदद से पूरी सटीकता के साथ जमीन के विस्थापन की निगरानी करती है। इस विश्लेषण में दो अलग-अलग अवधियों दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 और दिसंबर 2023 से दिसंबर 2024 को शामिल किया गया है।
परिणाम बताते हैं कि 2022 से 2023 के दौरान लैंड डिसप्लेसमेंट -20.7 सेमी से +17.4 सेमी के बीच था, जबकि 2023 से 2024 में यह -24.5 सेमी से +22.9 सेमी तक दर्ज किया गया। दृश्यों की व्याख्या को बेहतर बनाने के लिए पूरी घाटी के डिसप्लेसमेंट डेटा को एकत्रित कर अनुमानित कुल भूमि धंसाव का आकलन किया गया है। इस अध्ययन के लिए विभिन्न स्रोतों के डेटा का उपयोग किया गया है, जिनमें कोपरनिकस सेंटिनल-1, गूगल बिल्डिंग फुटप्रिंट, ओपनस्ट्रीटमैप, एसआरटीएम और 13 मई 2024 को नेचर प्रकाशित में शोध पत्र “एनालाइजिंग जोशीमठ सिंकिंग, कॉज, कान्सक्वेन्स एंड फ्यूचर प्रोस्पेक्टस विद रिमोट सेंसिंग टेक्नीक्स” शामिल हैं