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ओडिशा की आदिवासी महिलाओं के उगाये हरे पपीते अब लंदन की मेज पर

ओडिशा के दूरदराज के इलाकों में आदिवासी महिला किसानों द्वारा उगाए गए हरे पपीते अब लंदन के नागरिकों के भोजन की मेज पर भी दिखाई देंगे।

ओडिशा की आदिवासी महिलाओं द्वारा उगाए गए पपीते की स्वाद अब लंदन के लोग भी चख सकेंगे। पहली बार ओडिशा के किसी किसान उत्पादक संगठन (FPO) ने लंदन को हरे पपीते का निर्यात किया है। ढेंकानाल जिले के सप्तसज्जा किसान उत्पादक संगठन (FPO) की महिला किसानों ने प्रीमियम क्वालिटी का एक टन हरा पपीता हजारों किलोमीटर दूर लंदन भेजा है।

पलाडियम कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अमित पटजोशी ने बिजनेसलाइन के हवाले से बताया कि हरे पपीते की यूके और आयरलैंड जैसे देशों में अच्छी मांग है। किसानों को इस निर्यात से 40 से 62 फीसदी तक अधिक कीमत मिली है। पटजोशी ने बताया कि ओडिशा के हरे पपीते को पोषण की मात्रा, स्वाद, और कम उत्पादन लागत के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़त मिल रही है।

जिस पपीते का निर्यात किया गया है उसके उत्पादन में ओडिशा के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह की महिलाएं भी शामिल रहीं। शिपमेंट को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना किया गया। इस निर्यात को सफल बनाने में ओडिशा के कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग, एपीडा (APEDA) और पलाडियम कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की अहम भूमिका रही।

प्रमोशन एंड स्टेबिलाइजेशन ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन की टीम ने पंजीकृत निर्यातकों के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी करवाई है। पटजोशी ने बताया कि ओडिशा में प्राकृतिक रूप से उगाया गया हरा पपीता रासायन से मुक्त है और यूरोपीय मानकों के अनुरूप है। गुणवत्ता जांच कई स्तरों पर हुई है। खेत में सत्यापन, फाइटो-सैनिटरी प्रमाणपत्र और एपीडा द्वारा सूचीबद्ध पैक हाउसों में परीक्षण के बाद ही पपीता निर्यात की मंजूरी मिली है।

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