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झारखंड में 4.78 लाख किसानों का ऋण हुआ माफ

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में राज्य के 4.78 लाख किसानों का ऋण माफ किया गया है। पहले चरण में 50 हजार रुपये तक के ऋणी किसानों को इसका लाभ मिला। बाद में दो लाख रुपये तक कर्ज वाले स्टैंडर्ड किसानों का लोन भी माफ किया गया। इस पर सरकार ने करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किया। पशुपालन विभाग ने राज्य के सभी जिलों के लिए मोबाइल वेट क्लिनिक का संचालन शुरू किया। बीज वितरण में ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर राज्य सरकार को पहचान मिली। बीज और खाद वितरण को इस दौरान सुदृढ़ किया गया। वर्षों से लंबित फसल बीमा की राशि भी किसानों को दिलायी गयी।

गौरतलब है कि झारखंड के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में कुल 82 योजनाएं ली थीं। इनमें कृषि विभाग की 32, उद्यान की छह, भूमि संरक्षण की दो, डेयरी डेवलपमेंट विभाग की आठ, पशुपालन की 18, मत्स्य की छह और सहकारिता विभाग की नौ योजना थी। यह योजना केंद्र और राज्य दोनों प्रायोजित थी। राज्य की 56 योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तावित थी। इसमें भूमि संरक्षण के माध्यम से किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि यंत्र बांटने की योजना भी थी। चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने में अब मात्र 20-25 दिन शेष है। लेकिन किसानों को बीच कृषि यंत्र का वितरण अब तक नहीं हो पाया है।

वर्ष 2024 के बजट में राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। वहीं पशुपालन विभाग ने गो मुक्तिधाम योजना शुरू करने का निर्णय लिया था। इसके तहत इंसान की तर्ज पर गोवंश की मृत्यु पर पवित्र तरीके से शरीर निष्पादन की योजना था. यह योजना 2021-22 में शुरू की गयी थी। 2024-25 में इसके लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पायी।

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने ग्रामीण कृषि हाट निर्माण की योजना चालू वित्तीय वर्ष में रखी थी। इसके लिए सात करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया था। यह योजना भी शुरू नहीं हो सकी। कृषकों को मौसम की जानकारी देने के लिए ऑटोमेटिक रेन गेज लगाने की बात योजना में कही गयी थी। यह योजना भी जमीन पर नहीं उतर सकी। इसके लिए 40 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में था. गन्ना विकास की योजना भी कागजों पर ही रह गयी। इसके लिए पांच करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान था। मुख्यमंत्री ट्रैक्टर वितरण योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर और अन्य सहायक यंत्र देना था। इसके लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान था। मिनी ट्रैक्टर, पावर टीलर सहित अन्य सहायक कृषि मशीन और कृषि प्रसंस्करण उपकरण के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान था। यह योजना अभी विभागीय टेंडर प्रक्रिया में लटकी है।

खत्म हो रहे चालू वित्तीय वर्ष में किसानों की कई योजनाएं पूरी नहीं हो सकीं। उद्यान निदेशालय ने चालू वित्तीय वर्ष में हाइटेक नर्सरी व हार्टीकलचर पार्क की स्थापना की घोषणा बजट में की गई थी। इससे करीब 1700 से 2000 हेक्टेयर तक गुणवत्तायुक्त उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र की विस्तार की योजना थी। इसके तहत हर साल करीब 40 से 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देना था। पार्क में हर साल दो से ढाई लाख पर्यटकों के आने की संभावना था. यह पूरी नहीं हो पायी है।

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