अन्नदाता पर कुदरत का कहर टूटा। बुंदेलखंड के कई इलाकों में बारिश के साथ जमकर ओलावृष्टि हुई है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। दमोह और पन्ना जिले के गांवों में ओलावृष्टि के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। दमोह के पटेरा, कुंडलपुर और कुम्हारी के बीच सबसे ज्यादा ओले गिरे हैं। तो वहीं पन्ना जिले के शाहनगर, रैपुरा, पवई के ग्रामीण अंचल में तेज हवा, बारिश के साथ ओले गिरे हैं।
दमोह जिले के हटा में पिछले दो दिनों से अचानक मौसम में बदलाव हुआ है। शुक्रवार की दोपहर तेज गड़गड़ाहट के बाद अलग-अलग जगहों से ओलावृष्टि हुई। पटेरा, कुंडलपुर और कुम्हारी के बीच सबसे ज्यादा ओले गिरे हैं। यहां ओलावृष्टि के बाद चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर बिछी नजर आई। सड़कें ऐसी लग रही थी मानो ये बुंदेलखंड नहीं बल्कि कश्मीर हो।
बीते दो दिन से मौसम में बदलाव आया है। गुरुवार सुबह और शाम को तेज गर्जना के साथ रुक-रुक कर बारिश का क्रम चला। बारिश के साथ सिहोरा और मझोली के ग्रामीण क्षेत्रों में चने के बराबर ओले भी गिरे। साथ ही हवा चलने से खेतों में काटने के लिए तैयार खड़ी गेहूं की फसल जमीन पर लेट गई। ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की गेहूं और चने की फसल तबाह कर दी। सुबह जब किसान अपने खेत पहुंचे तो बर्बाद फसल देख सदमे में आ गए।
अचानक बदले मौसम के कारण गेहूं और चने की फसल को काफी नुकसान हुआ। वहीं अब अन्य किसानों को भी फसल की चिंता सताने लगी है। किसानों का कहना है कि यदि आगे भी ऐसा ही मौसम रहा तो दलहन और गेहूं की फसल को बहुत नुकसान हो सकता है। किसानों का कहना है कि अब गेहूं की फसल पककर काटने के लिए तैयार खड़ी है।
बारिश से खेतों में गेहूं की चमक कमजोर हो सकती है। वहीं हवा चलने से खेतों में गिरी गेहूं की फसल को लेकर किसान नुकसान की आशंका जाता रहे हैं। सिहोरा और मझौली क्षेत्र में कई जगह लगी चने और मसूर की फसल जो अभी कटी नहीं है, उसे भी बारिश और ओले गिरने से नुकसान की आशंका जताई जा रही है।