कोयम्बत्तूर जिले के इरलारपति हिल गांव ने एक हाथियों को जंगल क्षेत्र से सटे अपने गांव में घुसने से रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का सफलतम प्रयोग किया है। इस अभिनव समाधान ने उन किसानों को राहत दी है जो अपनी फसलों को इन जानवरों से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मेट्टपालयम और करटाडै क्षेत्रों से सटे पश्चिमी घाट की तलहटी में हाथियों की एक बड़ी आबादी रहती है। हाथियों का झुंड अक्सर आस-पास के गांवों में घूमते हैं, जिससे फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचता है। अतिक्रमण रोकने के लिए वन विभाग के प्रयासों के बावजूद समस्या हल नहीं हुई।
मिली जानकारी अनुसार अतिक्रमण रोकने के लिए वन विभाग के प्रयासों के बावजूद समस्या हल नहीं हुई। समाधान खोजने के लिए केम्मारम पालयम पंचायत ने हाथियों के गांव में प्रवेश करने वाले स्थान पर निगरानी कैमरे और लाउडस्पीकर लगा दिए। कैमरे वन विभाग और पंचायत प्रशासन से जुड़े हुए हैं, जिससे उनको हाथियों की गतिविधियों की वास्तविक समय की फुटेज प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
गौरतलब है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग करते हुए यह प्रणाली हाथियों के आगमन का पता लगाती है और लाउडस्पीकर चालू कर मानवीय आवाजें और एम्बुलेंस और जेसीबी मशीनों से आने वाली आवाजें देती है। ये असामान्य आवाजें हाथियों को पीछे धकेलती हैं, जिससे वे गांव में प्रवेश नहीं कर पाते। यह प्रयोग सफल रहा है। इस प्रणाली से ग्रामीण हाथियों को आधे किलोमीटर की दूरी तक दूर रखने में सक्षम हैं।
केम्मारम पालयम पंचायत अब आस-पास के गांवों में एआई प्रणाली लागू करने के लिए वन विभाग से चर्चा कर रही है। यह अभिनव समाधान उन किसानों के लिए उम्मीद लेकर आया है जो अपनी आजीविका की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का प्रयोग एक आशाजनक विकास है, और विशेषज्ञ इस प्रयोग को दिलचस्पी से देख रहे हैं।