मसाला फसल के रूप में जीरा उत्पादन की दृष्टि से जिला बाड़मेर, बालोतरा अग्रणी है। बालोतरा के लूनी नदी से सटे गांवों में किसान इस फसल की बुवाई करते हैं, लेकिन राजस्थान के जिला बाड़मेर के चौहटन, धोरीमना, गुड़ामालानी, शिव तहसील क्षेत्र में जीरे की सर्वाधिक बुवाई होती है।
राजस्थान में जीरा फसल पकने के बाद अब खलिहान से किसानों के घरों तक पहुंचनी शुरू हो गई है। कुछ दिन इंतजार बाद किसान इसे बेचेंगे, लेकिन कृषि मंडी बाड़मेर के अधिकारियों की अरुचि से इस बार भी फसल बिकने के लिए गुजरात के ऊंझा मंडी में पहुंचेगी। बाड़मेर में नवनिर्मित जीरा मंडी का संचालन शुरू नहीं होने पर यह होगा। इससे व्यापारियों को कमाई व सरकार को राजस्व के रूप में नुकसान होगा, लेकिन अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
मसाला फसल के रूप में जीरा उत्पादन की दृष्टि से जिला बाड़मेर, बालोतरा अग्रणी है। बालोतरा के लूनी नदी से सटे गांवों में किसान इस फसल की बुवाई करते हैं, लेकिन जिला बाड़मेर के चौहटन, धोरीमना, गुड़ामालानी, शिव तहसील क्षेत्र में जीरे की सर्वाधिक बुवाई होती है।
जानकारी के अनुसार इन क्षेत्रों में प्रतिवर्ष करीब 2.25 लाख हैक्टेयर से अधिक भाग में जीरा की बुवाई होती है। मिट्टी, पानी व वातावरण अनुकूल होने पर इसकी भरपूर पैदावार होती है। बता दें कि पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, मेड़ता, बिलाड़ा आदि स्थानों पर जीरे का उत्पादन होता है। प्रोसेसिंग इकाइयां नहीं होने से यहां का जीरा ऊंझा मंडी जाता है।
जिला मुख्यालय के कृषि उपज मंडी परिसर में जीरा मंडी निर्माण को लेकर मंडी प्रशासन ने 14 बीघा भूमि आवंटित की थी। वर्ष 2017 में व्यापारियों, किसानों व अन्य वर्ग श्रेणी के लोगों से आवेदन पत्र आमंत्रित कर इन्हें भूखंड आवंटित। 77 भूखंडों में से अधिकांश जनों ने दुकानों का निर्माण कर लिया है। मंडी प्रशासन ने भी अन्य जरूरी व्यवस्थाओं का प्रबंध किया, लेकिन अफसोस की अधिकारियों ने मंडी का संचालन में कोई रुचि नहीं दिखाई।
मंडी निर्माण बाद से ही कृषि उपज मंडी के अधिकारियों ने इसके संचालन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस पर आज भी यहां कामकाज शुरू नहीं हुआ। कई जनों ने बनाई दुकानों में विद्युत कनेक्शन के लिए मंडी समिति में अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, लेकिन इन्हें आज दिन तक यह प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। इस पर बगैर विद्युत सुविधा, अधिकारियों के प्रोत्साहित नहीं करने पर दुकानदार भी रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में इस वर्ष भी जीरा बिकने के लिए गुजरात की उंझा मंडी में पहुंचेेगा।
किसानों कहना है कि जीरा मंडी संचालन पर बिक्री से सरकार को मंडी शुल्क, किसान कल्याण शुल्क के रूप में राजस्व की आय होती है। मंडी में बिक्री से दुकानदारों, आढ़तियों को कमाई होती है। कामकाज को लेकर बोरियों की भराई, उतराई, चढ़ाई व अन्य कार्यों को लेकर श्रमिकों, वाहन चालकों को कमाई होती है। मंडी संचालन शुरू नहीं होने से इन्हें भी आमदनी से वंचित रहना पड़ रहा है।
राजस्थान की 12 नगर पालिका रद्द, फिर बनी ग्राम पंचायत
राज्य सरकार ने 12 नगर पालिकाओं को फिर से ग्राम पंचायत में बदल दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पालिका गठन की अधिसूचना को वापस ले लिया गया। स्वायत्त शासन विभाग में इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इन सभी नगर पालिकाओं का गठन जनजातीय उप योजना क्षेत्र में किया गया था। गठन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। पिछली कांग्रेस सरकार में इनका गठन किया गया था।
उल्लेखनीय है कि स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने पिछले दिनों बजट सत्र के दौरान विधानसभा में इनके गठन को रद्द करने की प्रक्रिया चलने की जानकारी दी थी।
जिन नगर पालिकाओं का दर्जा घंटा दिया गया है उनमें ऋषभदेव (उदयपुर), घाटोल (बांसवाड़ा), पोंख (झुंझुनू), रायपुर (भीलवाड़ा), जावाल (सिरोही) रानी (अलवर),
खीरनी (सवाईमाधोपुर), लालगढ़ जाटान (श्रीगंगानगर), रामदेवरा (जैसलमेर), रानीवाड़ा (जालौर), सेमारी (सलूंबर), चावंड (सराड़ा) प्रमुख हैं।
एक जानकारी अनुसार स्वायत्त शासन विभाग ने राजधानी जयपुर के दोनों नगर निगम सीमा क्षेत्र के दायरे को बढ़ाने की अधिसूचना भी जारी की है। सरकार ग्रेटर और हैरिटेज नगर निगम को एक में मर्ज करना चाहती है। जिसके लिए खाका भी तैयार कर लिया गया है। वर्ष 2011 के अनुसार ग्रेटर निगम सीमा क्षेत्र में 1.29 लाख और हैरिटेज में करीब 25 हजार की आबादी को जोड़ा गया है।
आगामी पंचायत चुनावों से पूर्व प्रदेशभर में पंचायत पुनर्गठन की कवायद जारी है। इसके चलते इन दिनों लालसोट व रामगढ़ पचवारा उपखण्ड क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में पंचायतों पुनर्गठन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। कई गांवों के ग्रामीण अपने-अपने गांव को पंचायत बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार पंचायत पुनर्गठन के तहत लालसोट उपखण्ड को करीब एक दर्जन नवीन ग्राम पंचायतों की सौगात मिल सकती है। वर्तमान में मौजूद 36 ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़कर 48 या 49 तक होने की उम्मीद है। इसी तरह रामगढ़ पचवारा उपखण्ड क्षेत्र में भी करीब आधा दर्जन नई ग्राम पंचायत बनने को लेकर कवायद हो रही है। सूत्रों के अनुसार जनप्रतिनिधि व आमजन से मिले सुझावों के अनुसार प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जिला कलक्टर के समक्ष भेजा जा रहा है। इसके बाद करीब एक माह तक प्रस्तावों को प्रकाशित कर आपत्तियां आमंत्रित की जाएगी।