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तमिलनाडु : भारी बारिश से हाहाकार, खेत जलमग्न, हजारों एकड़ फसल खराब
तमिलनाडु : भारी बारिश से हाहाकार, खेत जलमग्न, हजारों एकड़ फसल खराब

तमिलनाडु : भारी बारिश से हाहाकार, खेत जलमग्न, हजारों एकड़ फसल खराब

तमिलनाडु में भारी बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। डेल्टा जिलों में भारी बारिश के कारण सांबा धान की खेती प्रभावित हुई है। इसे अक्सर राज्य का चावल का कटोरा कहा जाता है। मईलादुथुराई, तंजावुर, तिरुवरुर और नागपट्टिनम में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिससे खेत जलमग्न हो गए हैं। मईलादुथुराई के सेम्बनारकोइल में 68 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि मईलादुथुराई शहर में 51 मिमी बारिश हुई। तिरुवरुर जिले में, नन्निलम में 59 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि नीदमंगलम में 47.7 मिमी बारिश हुई।

मिली जानकारी अनुसार राज्य में घनघोर बारिश के कारण सांबा धान के खेतों में पानी भर गया है, जिससे हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने जलमग्न होने का मुख्य कारण सिंचाई नहरों से उचित तरीके से गाद नहीं निकालना बताया।

किसानों का आरोप है कि ओट्टाई वैकल नहर सिंचाई चैनल और वर्षा जल निकासी दोनों के रूप में काम करती है, उसको ठीक से साफ नहीं किया गया है। इस वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों ने बताया कि ओट्टाई वैकल नहर से जुड़ी लगभग 500 एकड़ कृषि भूमि वनस्पति के अतिवृद्धि और जमा हुई गाद के कारण जलमग्न हो गई है।

किसान संघ के नेता एम. पांडियन ने कहा कि भारी पूर्वोत्तर मानसून के कारण धान के खेतों में पानी का जमाव हो गया है। यह नहरों के खराब रखरखाव के कारण है। अगर जलभराव जारी रहा, तो नुकसान बहुत बड़ा होगा। 2023-24 में पूर्वोत्तर मानसून की कमी के कारण डेल्टा जिलों में सांबा धान के उत्पादन में पहले से ही 40 प्रतिशत की गिरावट थी। हालांकि, इस साल, पर्याप्त वर्षा के बावजूद, उचित डी-सिल्टिंग और जल निकासी की कमी से फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे किसान परेशान हो सकते हैं।

पूर्वोत्तर मानसून के क्षेत्र में आने के कारण बाढ़ ने फसलों को नष्ट कर दिया है। यदि बारिश कुछ और दिनों तक जारी रहती है, तो सांबा धान की पूरी फसल नष्ट हो जाएगी। तमिलनाडु के डेल्टा जिलों में आमतौर पर लगभग 18 लाख एकड़ में सांबा धान की खेती की जाती है। इस साल की भारी बारिश ने फसलों का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न कर दिया, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई।

 

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