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हल्दी पाउडर की मांग को देखते हुए भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान ने हल्दी की नई किस्म विकसित की

एक रिपोर्ट के अनुसार हल्दी पाउडर की मांग को पूरा करने के लिए भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान ने ज्यादा उपज देने वाली हल्दी की नई किस्म विकसित की है। हल्के रंग वाली यह हल्दी IISR सूर्या नाम की इस नई किस्म में पाउडर उद्योग के लिए हल्के रंग का प्रकंद है। इसे व्यापक शोध के बाद विकसित किया गया है और उम्मीद है कि इस नई किस्म से किसानों को काफी लाभ होगा।

आमतौर पर हल्दी के अलावा, मसाला और पाउडर उद्योग अपनी मांग को पूरा करने के लिए म्यदुकुर और सलेम लोकल जैसी हल्के रंग की किस्मों को प्राथमिकता देता है। हालाँकि, ये स्थानीय किस्में सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। नतीजतन, मांग को पूरा करने के लिए अक्सर हल्के रंग की हल्दी को नियमित रंग की हल्दी के साथ मिलाया जाता है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मिश्रित हल्दी पाउडर में कोई मानकीकृत विशेषता नहीं है, क्योंकि इसकी संरचना पूरी तरह से मिश्रण प्रक्रिया पर निर्भर करती है।

एक विज्ञप्ति के अनुसार IISR सूर्या हल्‍दी हल्‍के रंग के साथ खुशबूदार होने के साथ ही बाजार में पहले से मौजूद हल्के रंग की स्थानीय किस्मों के मुकाबले 20-30 फीसदी ज्‍यादा पैदावार देने के सक्षम है। रिसर्चर्स ने बताया कि IISR सूर्या प्रति हेक्टेयर 41 टन तक पैदावार देने में सक्षम है। इस किस्‍म में करक्यूमिन की मात्रा 2-3 प्रतिशत तक है।

इसी तरह से पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय की हल्दी है। लाकाडोंग हल्दी को दुनिया की सबसे अच्छी हल्दी किस्मों में से एक माना जाता है, जिसमें करक्यूमिन की मात्रा लगभग 6.8 से 7.5 प्रतिशत होती है। इसका रंग गहरा होता है और इसे बिना खाद के जैविक तरीके से उगाया जाता है। लाकाडोंग क्षेत्र के 43 गांवों के किसान अपने खेतों में उगाते हैं। इस हल्दी को जीआई टैग मिलने से इसका निर्यात भी किया जा रहा है।

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