मकर संक्रांति पर उत्तर प्रदेश में दो सियासी पार्टियों में बदलाव की तैयारी हो चुकी है। एक समाजवादी पार्टी और दूसरी बहुजन समाज पार्टी। सपा में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा के निधन के कारण गतिरोध आया है। दूसरी ओर बसपा में मायावती के जन्मदिन का इंतजार है। बसपा का फोकस दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है।
मिली जानकारी अनुसार सपा सूत्रों के मुताबिक, 15-20 जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। जिन जिलों के अध्यक्ष बदले जाएंगे, वहां कमेटियां भी नए सिरे से बनाई जाएंगी। कुछ जिले ऐसे हैं, जहां अध्यक्ष या तो किसी विवाद में फंस गए हैं या फिर निष्क्रिय हैं। इन सभी जिलाध्यक्षों की सूची तैयार कर ली गई है।
सूत्रों का कहना है कि नई कमेटियों और जिलाध्यक्षों का चयन कार्यकर्ताओं की सक्रियता के आधार पर तय होगा। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी स्थानीय स्तर पर अपने संगठन को दुरुस्त करना चाहती है, ताकि बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत किया जा सके।
दूसरी ओर आइंदा उप चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश की मिलकीपुर विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में उतार सकती हैं।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती 15 जनवरी को अपने जन्मदिन के बाद मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर रणनीति तय करेंगी। बता दें, बसपा मिल्कीपुर उपचुनाव नहीं लड़ रही है। ऐसे में पार्टी समर्थक किस दल को वोट करें, इस बारे में बसपा सुप्रीमो संकेत दे सकती हैं। इस बाबत उन्होंने 16 जनवरी को पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है जिसमें सदस्यता अभियान, संगठन के विस्तार, कैडर कैंप और पार्टी के साथ मुस्लिमों, ब्राह्मणों एवं अन्य वर्गों को जोड़ने के अभियान की समीक्षा होगी।
बसपा सुप्रीमो का जन्मदिन बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाएंगे। देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसकी तैयारी कर ली है। जिलों में विचार गोष्ठियां होंगी। बसपा सुप्रीमो अपने जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों के नाम पर संदेश भी जारी करेंगी जिसमें दिल्ली चुनाव को लेकर भी अहम घोषणाएं की जा सकती हैं। दिल्ली में बसपा अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। बसपा सुप्रीमो ने दिल्ली चुनाव की कमान अपने भतीजे एवं पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को सौंप रखी है।