राजस्थान में श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों को अनाज का कटोरा कहा जाता है। पंजाब के सरहदी जिले में इस बार भी सरसों और गेहूं की बंपर फसल हुई है। सरसों को किसानों ने खलिहान में सहेज ली है। किसान अपनी सरसों की उपज लेकर मंडी भी पहुंच रहे हैं। अभी सरसों की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद न होने से किसानों ने कम दामों पर सरसों खुले बाजार में बेचना शुरू कर दिया है। कम कीमतों की वजह है किसान को हजारों का घाटा हो रहा है।
एक जानकारी अनुसार जिले की 15 कृषि उपज मंडियों में हर दिन करीब 25 हजार क्विंटल सरसों की आवक हो रही है, जिसका औसत भाव 5445 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 5950 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। यानी हर क्विंटल पर करीब 500 रुपए की चपत लग रही है। इस वर्ष जिले में सरसों की बुवाई 2,72,516 हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है और 495658.6 मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान है।
गांव खाटलबाला के किसान सतनाम सिंह के अनुसार इस बार सरसों की फसल ठीक है, लेकिन एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई है। सरसों 5250 रुपए प्रति क्विंटल बिकी, जबकि एमएसपी 5950 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। इससे एक क्विंटल पर मुझे 700 रुपए का नुकसान हुआ है। मैंने जमीन ठेके पर ली है और अब समय पर भुगतान करना है। बाजार में कम मूल्य पर सरसों बेचना मजबूरी है।
मिली जानकारी अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की अभी खरीद शुरू नहीं हुई है। कृषि जिन्सों की खरीद के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एक अप्रेल से शुरू किया जाएगा और खरीद 10 अप्रेल तक होगी। इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं।
मंडी में अपनी उपज के साथ सरदार तरसेम सिंह ने कहा कि इस साल 22 बीघा में सरसों की बुवाई की थी और 45 क्विंटल सरसों की फसल लेकर बाजार में आया हूं, लेकिन बाजार में भाव 52 सौ से 55 सौ रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। मुझे सरसों सात सौ से पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल कम मूल्य पर बेचना पड़ रहा है। यह कीमत लागत के मुकाबले बहुत कम है। सरकार ने जब समर्थन मूल्य तय किया है तो उस पर समय पर खरीद करनी चाहिए।