बागवानों को एंटी हेल नेट योजना के तहत अभी तक अनुदान नहीं मिल पाया है। जिला शिमला के 29,600 से ज्यादा बागवानों ने अनुदान के लिए आवेदन कर रखे हैं लेकिन उद्यान विभाग अभी तक यह धनराशि जारी नहीं कर सका है।
इस योजना पर बागवानों को 80 फीसदी का अनुदान दिया जाता है लेकिन आवेदन के तीन साल बाद भी कई बागवानों को अनुदान राशि नहीं मिली है। 2024-25 में उन बागवानों को अनुदान की राशि मिली है, जिन्होंने 2021 और 2022 में इस योजना के तहत एंटी हेल नेट खरीदे थे। बागवानों ने बताया कि उद्यान विभाग तर्क दे रहा है कि अभी तक अनुदान राशि का फंड नहीं आया है। एंटी हेल नेट की सबसे ज्यादा मांग सेब बहुल क्षेत्रों में होती है।
विभाग के आंकड़ों के अनुसार ठियोग, चौपाल, नारकंडा और मशोबरा के लिए वर्ष 2024-25 में 3.37 करोड़ का बजट जारी हुआ था। अभी 293 बागवानों की अनुदान राशि लंबित पड़ी है, लेकिन वर्ष 2024-25 में इन विकास खंडों के एक भी बागवान को अनुदान राशि नहीं मिली। वहीं कोटखाई और जुब्बल के लिए 3.50 करोड़ का बजट आया था जिसमें 489 बागवानों को अनुदान की राशि मिली है लेकिन करीब 300 किसानों का अनुदान लंबित है। रोहडु और चिड़गांव के लिए 2.41 करोड़ का बजट जारी हुआ था जिसमें 305 किसानों को अनुदान मिल गया है लेकिन 1007 मामले लंबित हैं।
हिमाचल प्रदेश में रामपुर और ननखडी के लिए 1.44 करोड़ का बजट जारी हुआ था जिसमें 198 बागवान लाभान्वित हुए हैं लेकिन 28 हजार किसानों के आवेदन लंबित पड़े हैं। एंटी हेलनेट सेब की फसल को ओलावृष्टि से बचाती है। एंटी हेलनेट जापानी फल को पक्षियों से होने वाले नुकसान से भी रोकती है। शुरुआत में किसानों को एंटी हेल नेट खरीदने पर पूरे पैसे चुकाने पड़ते हैं। बाद में पात्र किसानों को अधिकतम 5000 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र कवरेज के लिए 80 फीसदी तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।
उद्यान विभाग में उपनिदेशक सुदर्शना नेगी के अनुसार सरकार से अनुदान के लिए पैसा जारी हो चुका है लेकिन कोषागार में बिल फंस गए हैं। ऐसे में इस वर्ष कुछ विकास खंडों में बागवानों को अनुदान की राशि जारी नहीं की है। बिल आते है ही लंबित अनुदान राशि बागवानों को जारी कर दी जाएगी।