गुजरात दूध उत्पादन में भी देश के टॉप 5 राज्यों में शामिल है। वार्षिक 172.80 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन के साथ देश में गुजरात चौथे स्थान पर है। राज्य की दूध उत्पादन में हिस्सेदारी 7.49 प्रतिशत है। बीते 22 वर्षों में देश के मुकाबले गुजरात का दूध उत्पादन ज्यादा बढ़ा है। 22 सालों में देश के दूध उत्पादन में 8.46 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि हुई, जबकि गुजरात के दूध उत्पादन में इस समयावधि में 119.63 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है, जो औसतन 10.23 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि श्वेत क्रांति के जनक डॉ.वर्गीज कूरियन की जयंती 26 नवंबर को राष्ट्रीय दूध दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुजरात सरकार ने इस दौरान यह जानकारी साझा की।
गुजरात में वर्ष 1973 में केवल 6 सदस्य संघ और रु. 49 करोड़ के टर्नओवर से शुरू हुई अमूल फेडरेशन की गुजरात में 18 सदस्य यूनियन हैं। इन 18 सदस्य यूनियनों के माध्यम से, अमूल फेडरेशन हर दिन राज्य भर से 3 करोड़ लीटर से अधिक दूध इकट्ठा करता है। इससे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। उन्हें पूरे भारत और 50 देशों में बेचा जा रहा है। अमूल के डेयरी विकास मॉडल ने पशुपालन के सामाजिक-आर्थिक विकास को एक आत्मनिर्भर मॉडल तैयार किया है।
गुजरात में पिछले 22 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है। वर्ष 2000-01 में गुजरात में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता केवल 291 ग्राम प्रतिदिन थी। वर्ष 2022-23 में पूरे देश की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर 459 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच गई है, जबकि गुजरात में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादकता 670 ग्राम प्रति दिन पर पहुंच गई है।
गुजरात सरकार ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप, वर्ष 2000-2001 की तुलना में, 2022-23 में देशी गायों की दूध उत्पादकता में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संकर गायों की दूध उत्पादकता में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022-23 में भैंसों की उत्पादकता में औसतन 38 प्रतिशत और बकरियों की दूध उत्पादकता में औसतन 51 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।