कीमतों में लगातार गिरावट की वजह व अन्य कारणों से दार्जिलिंग चाय उद्योग का अस्तित्व खतरे में है। भारतीय चाय संघ ने गिरती कीमतों के बीच संघर्षरत दार्जिलिंग चाय उद्योग को बचाने के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता की गुहार लगाई है
टी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2024 तक देशभर में उत्पादन 13.69 मिलियन किलोग्राम घटकर 96.10 मिलियन किलोग्राम रह गया। आईटीए ने कहा कि इसी अवधि के दौरान नीलामी में कीमतों में भी गिरावट आई है, अखिल भारतीय स्तर पर, नीलामी की कीमतें ₹16.08 प्रति किलोग्राम कम होकर ₹128.12 पर आ गईं।
इस बीच, जनवरी से दिसंबर 2023 के दौरान भारत से चाय का निर्यात गिरकर 227.91 मिलियन किलोग्राम हो गया, जबकि 2022 की समान अवधि में यह 231.08 मिलियन किलोग्राम था, जिससे उद्योग की चुनौतियां बढ़ गईं, आईटीए ने कहा। चाय। बागानों में काम करने वालों का कहना है कि लगभग 87 दार्जिलिंग चाय बागानों का उत्पादन मात्रा, जो प्रति वर्ष 8 मिलियन किलोग्राम से अधिक हुआ करती थी, मुख्य रूप से पुरानी झाड़ियों, जलवायु परिवर्तन और कीटों के हमलों के कारण घटकर 6.5-7 मिलियन किलोग्राम रह गई है।
लगातार बदलते मौसम का असर भारतीय चाय बागान को प्रभावित कर रहा है। भारतीय चाय संघ के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा, ”दार्जिलिंग में उत्पादन और कीमत प्राप्ति दोनों में गिरावट आई है।”
वर्ष 2016 में उत्पादन 8.13 मिलियन किलोग्राम था, यह 2022 में घटकर 6.60 मिलियन किलोग्राम हो गया। फसल का औसत नीलामी मूल्य, जो 2021 में ₹365.45 प्रति किलोग्राम था, 2022 में गिरकर ₹349.42 हो गया।
उन्होंने कहा, “2023 में खराब मौसम ने दार्जिलिंग में चाय उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। मार्च के दौरान, फसल 43% कम हो गई थी।”