कभी नक्सल प्रभावित बस्तर इलाका अब तरक्की की नई राह पर आगे बढ़ रहा है। बस्तर अब कॉफी उत्पादन का केंद्र बन रहा है। इलाके में जगदलपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की मदद से कॉफी की खेती और इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है । कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इलाके में कॉफी उत्पादन के लिए सभी जरूरी स्थितियां मौजूद हैं। यहां 2017 से कॉफी की खेती के प्रयास शुरू किए गये थे, जो अब रंग लाते दिख रहे हैं। फिलहाल यहां कॉफी की 5 किस्में उगाई जा रही हैं।
यहां उत्पादित कॉफी बस्तर को नई पहचान देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि “रोजगार सुनिश्चित कर लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना हमारे लिए हमेशा एक चुनौती रही है ताकि वे समृद्धि की ओर बढ़ सकें। आज बस्तर में 350 हेक्टेयर भूमि पर कॉफी के बागान का काम चल रहा है।”
बागवानी वैज्ञानिक डॉ के पी सिंह ने कहा कि 2017-18 में प्रयोगात्मक आधार पर कॉफी अरेबिका की चार किस्मों और कॉफी रोबस्टा की एक किस्म को 20 एकड़ में लगाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि “पहली कटाई 2020-21 में की गई थी। जब हमने नमूने भारतीय कॉफी बोर्ड को भेजे थे, तो हमारी कॉफी को 6-6.4 की रेटिंग मिली थी, जो एक अच्छी रेटिंग है। इसके बाद 2021-22 में 100 एकड़ में इसकी खेती की गई थी। किसान इस क्षेत्र में कॉफी उत्पादन का लाभ उठा रहे हैं।”
भारत शीर्ष 10 कॉफी उत्पादक देशों में शामिल है। भारतीय कॉफी को इसकी उच्च गुणवत्ता के कारण दुनिया की सबसे अच्छी कॉफी में से एक माना जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसे उच्च प्रीमियम मिलता है। भारत दो प्रकार की कॉफी का उत्पादन करता है – अरेबिका और रोबस्टा। अरेबिका के हल्के सुगंधित स्वाद के कारण रोबस्टा कॉफी की तुलना में उच्च बाजार मूल्य है।
उल्लेखनीय है कि रोबस्टा कॉफी का उपयोग मुख्य रूप से इसके मजबूत स्वाद के कारण विभिन्न मिश्रण बनाने में किया जाता है। कॉफी का उत्पादन मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी भाग में होता है। कर्नाटक सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा है। इसके बाद केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा हैं।