ओडिशा के एक किसान ने धान की नई किस्म विकसित की है। यह किसान पहले एक दवा बनाने वाली कंपनी का कर्मचारी था। नौकरी छोड़कर उसने खेती करने में दिलचस्पी ली। उसने धान की खेती को चुना। प्रयास करके धान की नई किस्म विकसित की।
चावल की यह किस्म मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित बताते है। अपनी इस नई खोज के जरिए उमेश ने डॉक्टरों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसके अलावा अपने साथी किसानों को भी उमेश इस विशेष किस्म की धान की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
ओडिशा के इंजानपुर गांव में रहते हैं। उमेश चंद्र नायक एक ऐसे किसान हैं जिन्होंने खेती किसानी करने के लिए अपना काम छोड़ दिया। खेती करने से पहले वो एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम करते थे। परन्तु उन्होंने वह काम छोड़ दिया और खेतीबारी में आ गए और धान की खेती को प्रमुखता दी।
उमेश चंद्र नायक अन्य किसानों की तरह की धान की खेती करते हैं पर उनकी धान खास होती है। खेती करते हुए उमेश ने चावल की एक किस्म ‘तेलंगाना सोना आरएनआर 15048’ विकसित की है।
बताया गया है कि चावल की इस किस्म में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 50 फीसदी है, जो पारंपरिक चावल की किस्मों में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट की मात्रा से 80 फीसदी कम है। कम कार्बोहाइड्रेट सामग्री कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में बदल जाती है। जिससे यह मधुमेह से जूझ रहे लोगों के लिए एक स्वस्थ भोजन विकल्प बन जाता है। इसलिए उमेश चंद्र के द्वारा विकसित की गई चावल चावल न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि यह अधिक किफायती भी है। क्योंकि ओडिशा में शुगर मरीजों के खाने के लिए जो चावल मिलता है वह 260 रुपये किलोग्राम की दर से बिकता है। पर उमेश चंद्र का विकसित चावल इससे काफी कम कीमत पर उपलब्ध है।