जब विभिन्न संगठनों ने एक देश –एक चुनाव, का प्रश्न उठाया है तो गन्ना मजदूर और किसानों ने एक देश और एक दर का सवाल उठाया है। मौजूदा समय मे गन्ना मज़दूरों का मेहनताना अलग-अलग है।महाराष्ट्र में गन्ने का कोई एक समान मूल्य नहीं है। महाराष्ट्र में कुछ फैक्ट्रियां तीन हजार से ज्यादा गन्ना मूल्य देती हैं, जबकि कुछ फैक्ट्रियां ढाई हजार तक दर देती हैं। गुजरात और तमिलनाडु में गन्ने की प्रति टन कीमत चार हजार तक है। साथ ही फैक्ट्रियां उप-उत्पादों से लाभ कमाती है, लेकिन किसानों के साथ साझा नहीं करती है।मिली जानकारी अनुसार देश भर की फैक्ट्रियां किसानों को 5,000 रुपये प्रति टन भुगतान करें, इस मांग को लेकर 27 मई को गन्ना सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह फैसला गन्ना उत्पादक संघर्ष समिति की बैठक में लिया गया। कामगार भवन में आयोजित बैठक की अध्यक्षता किसान सभा के राज्य अध्यक्ष उमेश देशमुख ने की।
बैठक में सांगली, कोल्हापुर, सोलापुर, सतारा, परभणी और अहिल्यानगर के किसान प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में ‘एक देश, एक दर’ के नारे के साथ किसानों को एकजुट करने का निर्णय लिया गया। किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अशोक ढवले सम्मेलन को मार्गदर्शन करेंगे। इस अवसर पर प्रदेश महासचिव डॉ. अजीत नवले उपस्थित रहेंगे।
सांगली से जारी एक बयान के मुताबिक इस अवसर पर प्रदेश महासचिव डॉ. अजीत नवले उपस्थित रहेंगे। बैठक में प्रिन्सिपल ए. बी. पाटिल, अमोल नाइक, (कोल्हापुर), माणिक अवघडे (सतारा), सुलेमान शेख, राजेंद्र स्वामी (सोलापुर), गुलाब मुलानी, रमेश पाटिल, जयवंत राव सावंत, राजेंद्र वाटकर (सांगली) और गन्ना किसान उपस्थित थे।