शाकाहारी वन्यजीवों को जंगल में भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश का पहला स्पेशल जोन कोटा में विकसित किया जाएगा। जो वन्यजीवों के लिए फूड बैंक का काम करेगा। कोटा में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व क्षेत्र के समीप 600 हेक्टेयर में ग्रासलैंड विकसित किया जा रहा है। कोटा में यह ग्रासलैंड दरा से किशोरसागर वन क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है।
गत दशकों में वनों की कमी के कारण बदलते पर्यावरण और कम होती बारिश के कारण जंगलों में 12 माह पानी के स्रोत विलुप्त होते जा रहे हैं। वन क्षेत्रों में मवेशी की चराई के कारण ग्रासलैंड कम होते जा रहे हैं। ग्रासलैंड के कम होने से हिरनों और अन्य छोटे-छोटे वन्यजीवों की संख्या भी कम होती जा रही है। इन शाकाहारी वन्यजीवों पर निर्भर बाघ, पैंथर, जरख व अन्य मांसाहारी वन्यजीवों को भी इस संकट का सामना करना पड़ता है। वे भोजन व पानी की तलाश में भटककर बस्तियों की ओर आ जाते हैं।
विभाग के अनुसार हाल में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। हाल ही उदयपुर के गोगुंदा के जंगलों से पैंथर निकल कर मानव भक्षक बन गया था। सवाईमाधोपुर में भी बाघ गांव में आने के कारण मानव संघर्ष में उसकी मृत्यु हो गई थी। अलवर में भी बाघों के जंगल से बाहर निकलने की घटना होती रहती हैं। कोटा में भी कई बार पैंथर बस्तियों की ओर आ चुके हैं। दो साल पहले महावीर नगर विस्तार योजना में तेंदुआ घुस गया था।
उपवन संरक्षक, कोटा अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव के अनुसार वन्यजीवों को जंगल में ही पर्याप्त और पौष्टिक आहार मिल सके, इसके लिए ग्रासलैंड एवं वेटलैंड विकसित कर रहे हैं। कनवास ग्रासलैंड में प्रे-बेस एग्युमेंटेशन एनक्लोजर विकसित करने के प्रस्ताव भी सरकार को भेजे हैं। इस प्रस्तावित एनक्लोजर में चीतल, हिरण लाकर रखे जाएंगे।