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पूर्वोतर : जैविक खेती में उगे पुरस्कारों के फूल

मनीष कुमार मिश्रा

जैविक खेती को लेकर दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले सिक्किम राज्य ने एक बार फिर से भारत का मान बढ़ाया है सिक्किम दुनिया का पहला जैविक राज्य बन गया है| संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन ने सिक्किम को सर्वश्रेष्ठ नीतियों का ऑस्कर पुरस्कार दिया है| यह सम्मान कृषि तंत्र और सतत खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है| 2003 में जैविक राज्य घोषित करने के संकल्प के 15 साल बाद 2016 में सिक्किम को देश का पहला जैविक राज्य बनने का सम्मान हासिल हुआ था| सिक्किम दुनिया का पहला जैविक राज्य सिक्किम के जैविक राज्य बनने की कहानी जैविक खेती क्या है? भारत में जैविक खेती भारत में जैविक खेती में क्या समस्या है? सिक्किम दुनिया का पहला जैविक राज्य सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्य है जहां पूर्णता यानी सौ प्रतिशत जैविक कृषि की जाती है| पूर्वोत्तर के इस राज्य में 25 देशों की 51 नामित नीतियों को पीछे छोड़ते हुए पुरस्कार जीता है| ब्राजील, डेनमार्क और इक्वाडोर की राजधानी की नीतियों ने रजत पुरस्कार जीते है| संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन वर्ल्ड फ्यूचर काउंसिल और गैर लाभकारी संगठन मिलकर ये पुरस्कार देते है| पुरस्कार आयोजकों के मुताबिक सिक्किम राज्य की जैविक खेती से जुड़ी नीतियों से जहां 66000 से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ है वही सौ फ़ीसदी जैविक राज्य बनने से सिक्किम के पर्यटन क्षेत्र में भी काफी लाभ हुआ है| 2014 और 2017 के बीच पर्यटकों की संख्या में 50% से ज्यादा की वृद्धि हुई है| खाद्य और कृषि संगठन का मानना है कि सिक्किम में जैविक खेती के मामले में भारत के दूसरे राज्यों और दुनिया के बाकी देशों के लिए मिसाल पेश की है| संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने इसे भूख और गरीबी से लड़ने वाला कदम करार दिया है| सिक्किम की सराहना करते हुए एजेंसी ने कहा कि यह पुरस्कार भूख, गरीबी और पर्यावरणीय गिरावट के खिलाफ राजनीतिक नेताओं की ओर से बनाई गई असाधारण नीतियों का सम्मान है| सिक्किम के अनुभव से पता चलता है कि 100 फ़ीसदी जैविक खेती एक सपना नहीं है बल्कि वास्तविकता है| इस बीच सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने जैविक खेती को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने की अपील है उनका मानना है कि अगर सिक्किम मैं ऐसा हो सकता है तो कोई कारण नहीं है कि दुनिया की दूसरी जगहों पर ऐसा ना हो सके| उन्होंने कहा कि सिक्किम को रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल खत्म कर पूरी तरह से जैविक कृषि अपनाने में एक दशक से ज्यादा का समय लगा है| उन्होंने यह भी कहा कि अपने पुराने अनुभव और जैविक खेती के साथ अपने जुड़ाव के आधार पर विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दुनिया भर में पूर्णता जैविक कृषि संभव है अगर हम सिक्किम में ऐसा कर सकते हैं तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि दुनिया में दूसरी जगहों पर नीति नियंता, किसान और सामुदायिक नेता ऐसा नहीं कर सकते है| रासायनिक खाद्य और कीटनाशकों को खत्म करने के साथ ही उनके स्थान पर स्थाई विकल्पों को अपनाने पर सिक्किम को 2016 में देश का पहला जैविक राज्य घोषित किया गया था| 18 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगटोक अग्रीसमिट में इसकी बाकायदा औपचारिक घोषणा की थी| इसके साथ ही सिक्किम प्रमाणिक तौर पर भारत का पहला जैविक राज्य बन गया था| सिक्किम ने अपनी 75000 हेक्टेयर की कुल टिकाऊ कृषि भूमि को प्रमाणित तौर पर जैविक कृषि क्षेत्र में तब्दील कर दिया है| सिक्किम के जैविक राज्य बनने की कहानी सिक्किम को यहां तक पहुंचने की कहानी 15 साल पहले शुरू होती है, सिक्किम में 2003 में जैविक खेती अपनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी| उस वक्त ऐसा करने वाला सिक्किम देश का पहला राज्य था| सिक्किम में लंबे समय तक मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, स्वास्थ्य जीवन और हृदय संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे को कम करने के मकसद से इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया था| इस ऐलान से पहले सिक्किम के किसान रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे लेकिन जब राज्य के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने 2003 में जैविक खेती अपनाने का ऐलान किया तो धीरे-धीरे हालात बदलने लगे, इसके लिए सिक्किम की सरकार ने एक सरकारी योजना बनाई| पहले कदम के रूप में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की बिक्री पर प्रतिबंध घोषित किया गया| कृषि में इनके इस्तेमाल पर रोक कानून बनाया गया| इस कानून के उल्लंघन पर ₹100000 जुर्माना के साथ तीन माह की कैद या दोनों का प्रावधान किया गया| सरकार ने कानून ही नहीं बनाया उसे लागू करने का संकल्प भी दिखाया| सिक्किम सरकार के महत्वपूर्ण कदम सिक्किम राज्य जैविक बोर्ड का गठन देश विदेश के कई कृषि विकास और शोध से जुड़ी संस्थाओं के साथ साझेदारी जिसमे स्विटजरलैण्ड के जैविक अनुसन्धान संस्थान ‘फिबिल’ भी शामिल है| सिक्किम आर्गेनिक मिशन का गठन आर्गेनिक फार्म स्कूल बनाए गए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की शुरुआत की गई अम्लीय भूमि उपचार जैविक पैकिंग से लेकर प्रमाणीकरण की उपलब्धता में जागरूकता को लेकर कार्यक्रम चलाए गए शुरुआत में सिक्किम की 400 गांव को गोद दिया गयाऔर इन्हे बायो विलेज की श्रेणी में लाने का लक्ष्य रखा गया| 2006-2007 आते-आते केंद्र सरकार से मिलने वाला रासायनिक उर्वरक का कोटा उठाना बंद कर दिया गया, बदले में किसानों को बड़े स्तर पर जैविक खाद मुहैया कराई गई| जैविक बीज उत्पादन के लिए बगीचें लगाये गए| किसानों को खुद ही जैविक बीज खाद उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया| 2009 तक 4 जिलों की 14000 किसान परिवार अपनी 14000 एकड़ कृषि भूमि की उपज के लिए जैविक प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल रहे|इस तरह से राजनीतिक संकल्प के आधार पर सिक्किम एक एक क़दमों से आगे बढ़ा और देश और दुनिया का पहला जैविक राज्य बनाने का गौरव हासिल किया| जैविक खेती क्या है? जैविक खेती, खेती करने की एक ऐसी पद्धति है जिसमें अनाज, साग-सब्जी और फलों को उगाने के लिए रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवार नाशको की जगह जीवाणु खाद पोषक तत्व यानी गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद. हरी खाद इतियादी का इस्तेमाल किया जाता है| जैविक खेती में हम कंपोस्ट खाद के अलावा केंचुआ खाद, नीम खली और फसल के अवशेषों को भी शामिल करते हैं| जैविक खेती हमारे देश की प्राचीन कृषि पद्धति रही है जिसे वैदिक कृषि भी कहा गया है| जैविक खेती खेती कि वह सदाबहार पद्धति है जिससे पर्यावरण की शुद्धता, जल और वायु की शुद्धता और भूमिका प्राकृतिक स्वरूप बना रहता है| जैविक खाद के उपयोग से ना केवल मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है बल्कि उस में नबी की वजह से काफी हद तक सूखे की समस्या से निजात मिल जाती है| जैविक कीटनाशक से मित्र कीट भी सुरक्षित रहते हैं| घटते भूजल स्तर के लिए जैविक खेती एक वरदान है| पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और कृषि लागत और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ मिलता है| जैविक खेती का दूसरा आधार फसल चक्र है| एक ही फसल लगातार उगाने से मिट्टी में मौजूद लवणों का संतुलन बिगड़ जाता है| इसलिए फसल चक्र का पालन करने से पौधों को उचित पोषण मिलता है| मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और खरपतवार भी कब उगता है, इतना ही नहीं पादप रोगों को भी फैलाव का मौका नहीं मिलता है| एक अनुमान के अनुसार किसान अपनी उत्पादित फसल का 25 से 40 फ़ीसदी ही उपयोग कर पाते हैं| भारत में हर साल 600 मिलियन टन कृषि अवशेष पैदा होता है इसमें से अधिकांश अवशेषों को किसान अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए जला देते हैं जबकि का इस्तेमाल जैविक खाद तैयार करने के लिए आसानी से किया जा सकता है| जैविक खेती जिसे ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर भी कहते हैं को आधुनिक कृषि पद्धिति के रूप में प्रचलित करने का प्रयास किया जा रहा है| भारत में जैविक खेती देश में खाद्य आपूर्ति की कोई समस्या नहीं है लेकिन देश की बढ़ती जनसंख्या को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मुहैया कराना एक चुनौती है| जिसने निपटने में जैविक खेती ही एकमात्र विकल्प है| भारत में जैविक खेती का दायरा बड़ा है वर्ल्ड ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर रिपोर्ट 2018 के मुताबिक भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा ऑर्गेनिक प्रोडूसर है| भारत में 835000 प्रमाणित ऑर्गेनिक प्रोडूसर है| यह आकड़ा दुनिया के प्रमाणित कार्बनिक उत्पादकों का 30 फ़ीसदी है| भारत दुनिया का सबसे बड़ा जैविक कृषि करने वाला देश है| भारत जैविक खेती में एक नई ताकत बनकर उभर रहा है| केंद्र की परंपरागत कृषि विकास योजना और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए विशेष योजना से इसके विकास में काफी मदद मिली है| मौजूदा वक्त में देश में करीब 3500000 हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती हो रही है जिसमें परंपरागत कृषि विकास योजना के जरिए 4 लाख से ज्यादा किसान को लाभ पहुंचा है| सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती के लिए 50000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य है| अब तक 45863 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेतीयोग्य क्षेत्र में बदला गया है| जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार गंगा किनारे बसे 1657 गांव पंचायतों को जैविक के लिए विकसित करने पर जोर दे रही है| पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए एक खास क्षेत्रीय योजना चल रही है जिसमें मूल्य संवर्धन पर जोड़ है| 50000 किसानों को जोड़कर उत्पादक कंपनियां बनाने पर भी काम चल रहा है इसके तहत बीज प्रमाणीकरण, प्रसंस्करण और मार्केटिंग की गतिविधियों पर खास ध्यान दिया जा रहा है| भारत में जैविक खेती 2000 में सरकार के एजेंडे में आई थी| राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम आरंभ करने के साथ 2002 में जैविक चिन्ह का लोकार्पण हुआ| कृषि मंत्रालय ने 2004 में राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र स्थापित किया जिसने 45 अलग-अलग जैविक खेती की प्रणालियां विकसित की है साथ ही राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक खेती की खास पढ़ाई शुरू की गई है| भारत में जैविक उत्पादों के निर्यात की बात करें तो गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, नई दिल्ली और राजस्थान आगे बढ़ रहे हैं| सिक्किम इन में सबसे आगे है| अनुमान है कि 2025 तक देश में जैविक खेती का कारोबार 75000 करोड रुपए का होगा| 2016-17 में भारत से 309767 जैविक उत्पादों का निर्यात हुआ| जिससे देश को 2479 करोड रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई| कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए जल प्रबंधन, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और फसलों को बीमारी से बचाने पर जोड़ देना होगा| जैविक खेती से तीनों समस्याओं का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकता है| आजादी के बाद हरित क्रांति ने खाद्य के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया था, लेकिन सीमित संसाधन के वजह से कृषि पैदावार को कायम रखने के लिए रासायनिक खेती के जगह जैविक खेती पर ख़ास जोड़ दिया जा रहा है| जैविक खेती से ना केवल संसाधनों का संरक्षण होता है बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता भी काफी बेहतर होती है| देश में जैविक खेती की संभावना है तो बहुत है लेकिन असंगठित प्रणाली और वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं होने के कारण समस्याएं भी बहुत है| भारत में जैविक खेती में क्या समस्या है? खेती पर पड़ते रसायनों के इस्तेमाल को कम करने और जैविक खेती की तरफ किसानों और आम आदमी में जागरूकता फैलाने के मकसद से सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है| किसानों का रुख भी जैविक खेती की तरफ हो रहा है |

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