झारखंड में करीब 10,108 वर्ग किमी वन भूमि बिना जंगल के ही है| इतनी जमीन पर वन है या नहीं है, इसका जिक्र इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2021 में नहीं है| राज्य में कुल रिकॉर्डेड फॉरेन एरिया (चिह्नित वन भूमि) 22390.00 वर्ग किमी है| इसमें से 23721.14 वर्ग किमी में जंगल लगा हुआ है|
यह कुल वन भूमि से अधिक है| लेकिन, इसमें से झारखंड का करीब 48% जंगल वन भूमि (रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया) से बाहर है| इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2021 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वन भूमि से बाहर करीब 11439 वर्ग किलोमीटर में वन है| राज्य में हर साल 100 करोड़ रुपये का पौधरोपण होता है|
एफएसआइ की जो रिपोर्ट है, उसमें झारखंड में रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया में मात्र 12282 वर्ग किलोमीटर में ही फॉरेस्ट कवर है| इसमें वीडीएफ, एमडीएफ ओर ओपेन फॉरेस्ट का भी जिक्र है| शेष जंगल वन भूमि से बाहर है तो वन भूमि कहां है. इतनी बड़ी वन भूमि का कोई जिक्र नहीं होना आश्चर्यजनक है. यह विषमता कैसे है, यह सोचने का विषय है, जबकि हर साल वन लगाने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं|
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट, नयी दिल्ली की महानिदेशक सुनीता नारायण के अनुसार यह स्थिति पूरे देश की है| पूरे देश में उत्तर प्रदेश के भौगोलिक एरिया के बराबर की वन भूमि खाली है| इसका हिसाब वन विभाग के पास नहीं है| सर्वे में वन विभाग को यह बताना चाहिए कि इस जमीन का क्या उपयोग हो रहा है| भारत सरकार के रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया में करीब 77.53 मिलियन हेक्टेयर भूमि बतायी जाती है| वहीं सर्वे रिपोर्ट में केवल 51.66 का ही जिक्र किया जाता है| शेष जमीन कहां है, यह बताना चाहिए|
जंगल कुछ दबंग ग्रामीणों द्वारा काटे जाते हैं जंगल काटने के पीछे का उद्देश्य भूमि को खाली कर कर खेती करना होता है और पेड़ों की लकड़ी को बेचकर या उनका प्रयोग कर कर धन कमाया जाता है