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राजस्थान : नरमा (कपास) उत्पादन में लड़खड़ाते किसानों को मूंग ने दिया सहारा

कृषि बाहुल श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिला कॉटन बेल्ट के नाम से पहचान रखता है, लेकिन इस वर्ष कॉटन के उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विपणन विभाग के अनुसार कॉटन की बुवाई में कमी के कारण उत्पादन में गिरावट आई है। वहीं मूंग की फसल ने इस वर्ष कपास की कमी से हुई आर्थिक हानि की भरपाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान स्थिति में किसानों की उम्मीदें मूंग के अच्छे दामों और संभावित लाभ पर टिकी हुई हैं।

मिली जानकारी अनुसार कॉटन की फसल इस बार श्रीगंगानगर जिले में 1,32,436 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोई गई थी। कृषि विपणन विभाग के अनुसार इस वर्ष जिले की मंडियों में 12,02,430 क्विंटल कॉटन की आवक हुई है,जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 23,08,841 क्विंटल था। कॉटन का औसत भाव 7,400 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले वर्ष 6,516 रुपए से अधिक है। राहत की बात यह है कि इस वर्ष गुलाबी सूंडी का प्रकोप आंशिक ही रहा। हालांकि, मंडियों में कॉटन की आवक 50 फीसदी कम हुई है।

जिले की 13 कृषि उपज मंडियों में इस बार कॉटन की फसल का उत्पादन कम होने के चलते मंडियों में आवक गिर गई। मंडियों की इस स्थिति ने राजस्व में कमी आई है।

इस वर्ष मूंग की फसल ने किसानों को राहत दी है, जिसमें इस वर्ष 11,98,283 क्विंटल मूंग की आवक हुई है। कृषि विपणन विभाग के अनुसार, पिछले वर्ष यह मात्रा महज 5,56,872 क्विंटल रही थी। मूंग का औसत मूल्य 7,800 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले वर्ष के 7,242 रुपए से अधिक है।

उल्लेखनीय है कि मूंग का औसत मूल्य 7,800 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले वर्ष के 7,242 रुपए से अधिक है। हालांकि, मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 8,662 रुपए निर्धारित होने के बावजूद किसानों को अपनी फसल की मनचाही कीमत नहीं मिल सकी।

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