बीते करीब तीन महीने से मणिपुर में हिंसा जारी है। सरकार, हिंसा रोकने पर में अभी तक नाकाम रही है । मणिपुर के मंत्रियों और संसद सदस्यों के घरों पर हमले हो रहे हैं है। लगातार हिंसा,लूट, आगजनी व सामूहिक बलात्कार की वारदातों की वजह से खेती और कारोबार बर्बाद हो गया है। किसानों का खेतों तक जाना बंद है। कारोबार ठप हैं। मणिपुर में कल-कारखानों पर लगभग तालाबंदी के हालात हैं। ऐसे बिगड़े हालात का प्रभाव मणिपुर के पूरे कारोबार और खेती पर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले तीन महीने से इस पहाड़ी राज्य में हिंसा फैली हुई है। दो समुदायों के बीच की लड़ाई आज पूरे प्रदेश को घुटने पर लेकर आ गई है। खून-खराबे की वजह से किसान खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। इससे सूबे में धान की पैदावार गिरने की आशंका बढ़ गई है। अगर ऐसी हालत रही तो मणिपुर में लोग दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे। यह एक सूबे में नहीं, देश में संकट है।
करीब तीन महीने से जारी हिंसा के कारण मणिपुर में धान की खेती सबसे अधिक प्रभावित हुई है। इसकी वजह है बफर जोन में होने वाली खेती चौपट होना। यहां बफर जोन का मतलब उस इलाके से है जो मणिपुर के सबसे हिंसक जोन में पड़ता है। बफर जोन वही क्षेत्र है जहां कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे के आमने-सामने हैं। इस बफर जोन में बंदूक के साये में लड़ाई चल रही है। इससे यहां खेती-किसानी पूरी तरह से चौपट है। इसका नतीजा है कि पिछले तीन महीने से मणिपुर में खाद्यान्नों का उत्पादन बहुत गिर गया है। लगातार कर्फ्यू लगा हुआ है। लोगों के सामने खाने का ही नहीं, बच्चों के सामने पढ़ाई का भी संकट है।
मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाकों में बहुत कम किसान अपने खेतों में दिख रहे हैं। सूबे में यह समय फसल कटाई का है। एक जानकारी से पता चलता है कि प्रदेश में 2-3 लाख किसान ऐसे हैं जो 1.95 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करते हैं। लेकिन ये किसान इस बार धान की खेती में नहीं लगे हैं बल्कि कोई और काम कर रहे हैं। इसकी वजह है बीते तीन महीने से मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय में फैली हिंसा। खून-खराबे का असर खेती पर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कारोबार पर भी है। सूबे में राजधानी इंफाल का इमा मार्केट बहुत मशहूर है जहां बिजनेस मुख्य रूप से महिलाएं ही संभालती हैं। लेकिन हिंसा की वजह से यहां का कारोबार करने पूरी तरह से चौपट हो गया है।लगातार हिंसा के कारण। बाज़ार बंद हैं।। चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।धान के खेत खाली पड़े हैं। कोई भी किसान खेत में डर के मारे नहीं जा रहा है। घरेलू उपयोग की सप्लाई लगातार गिरती जा रही है। यहां तक कि बाहर से आने वाला खाद्यान्न और मछलियों की सप्लाई भी हिंसा से प्रभावित हो गई है। हिंसा से होटल व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है। राजधानी इंफाल में अधिकांश होटल खाली हैं। होटलों में गेस्ट के नाम पर मीडियाकर्मी ठहरे हुए हैं जो बाहर से यहां के हालात का जायज़ा लेकर ख़बरें लिखने पहुंचे हैं। हिंसा रोकने में अभी तक मणिपुर और केंद्र की सरकार नाकाम होने से काऱोबारी हताश हैं । काम-धंधा चौपट हो।
इंटरनेट पर पाबंदी और ऑनलाइन लेन-देन नहीं होने से हालात और भी बदतर हो गए हैं। मणिपुर सरकार ने बैंकों से कहा है कि वे कर्जदारों को लोन चुकाने में राहत दें। बैंकों से मोरेटोरियम पीरियड में एक साल तक की छूट देने की मांग की गई है।
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