tag manger - पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम की हजारों महिलाओं की बदौलत बची हैं पारंपरिक धान की किस्में – KhalihanNews
Breaking News
#westbengal #kolkata #india #instagram #bengali #calcutta #kolkatadiaries #bengal #photography #love #bangladesh #instagood #mumbai #delhi #durgapuja #ig #kolkatabuzz #kerala #kolkatagram #bong #kolkataphotography #darjeeling #nature #siliguri #dhaka #travel #tamilnadu #maharashtra #bangla #photooftheday

पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम की हजारों महिलाओं की बदौलत बची हैं पारंपरिक धान की किस्में

दामोदर गांव तो एक उदाहरण है। आसपास की धान किसान महिलाओं की संख्या जोड़ दें तो। ऐसी हजारों महिलाएं हैं। दामोदर पुर महिलाओं ने बिना किसी रासायनिक उर्वरक का उपयोग किए, जैविक रूप से चावल की स्वदेशी किस्मों की खेती करके एक क्रांति शुरू की है। दामोदरपुर गांव में 55 महिला किसान हैं और मुराकाठी गांव में 21 महिला किसान चावल की देशी किस्मों को उगाकर उनके बताए गए रास्ते पर चल रही है।

पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम की महिला किसान पारंपरिक चावल के किस्मों की जैविक खेती कर रही है। इसके जरिए महिला किसानों के जीवन में आर्थिक तौर पर काफी बदलाव आया है। देसी किस्मों के चावल की खेती करने के लिए महिलाओं ने एक कंपनी भी बनाई है। इस कंपनी ने एक साल में तीन करोड़ रुपये का टर्नओवर भी हासिल किया है। खेती करनेवाली सभी महिलाएं किसान परिवारों से आती हैं और बहुत अधिक पढ़ीं-लिखी भी नहीं है। सभी महिलाएं झारग्राम जिले के दामोदरपुर मुराखाटी गांव की रहने वाली है।

इस तरह से झाड़ग्राम की सैंकड़ों महिला किसान यहां के गांव में काला चावल, मल्लीफुल्लो, केरल सुंदरी और लाल चावल की खेती शुरू की है। इन महिला किसानों को एक गैर सरकारी संस्था प्रदान द्वारा मदद की जाती है। इतना ही नही महिलाओं को चावल प्रसंस्करण करने में परेशानी नहीं हो इसके लिए एक प्रसंस्करण यूनिट की भी स्थापना की गई ह।

चावल प्रसंस्करण करने में परेशानी नहीं हो इसके लिए एक प्रसंस्करण यूनिट की भी स्थापना की गई है। इसके बाद स्वेदेशी किस्म के चावल की बिक्री यहां से पूरे देश में की जाती है। इतना ही नहीं किसानों को जैविक खाद आसानी से उपलब्ध हो जाए इसे लेकर एक जैविक खाज उत्पादन यूनिट की भी स्थापना यहां पर की गई है। जो अधिक उपज देने वाली किस्मों में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक-आधारित उर्वरकों के स्थान पर खेत की खाद और अन्य प्राकृतिक आदानों का उपयोग करती है।

जैविक चावल खेती करने वाली इन महिलाओं की कंपनी में 2,677 महिला किसान जुड़े हुऐ हैं. ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन समूह की दो महिला किसान निर्मला महतो और पंचबटी बास्के मार्केटिंग का कार्य करती है. इन दोनों महिलाओं ने बिना किसी रासायनिक उर्वरक का उपयोग किए, जैविक रूप से चावल की स्वदेशी किस्मों की खेती करके एक क्रांति शुरू की है। दामोदरपुर गांव में 55 महिला किसान हैं और मुराकाठी गांव में 21 महिला किसान चावल की देशी किस्मों को उगाकर उनके बताए गए रास्ते पर चल रही है।

About khalihan news

Check Also

पश्चिम बंगाल : सूबे के आलू किसान बंपर फसल के बावजूद कम कीमतों से परेशान

पश्चिम बंगाल में इस सीजन में आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए चिंता का …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *