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देश में अरहर दाल की थोक व खुदरा कीमतों में और हो सकती है बढ़ोतरी
देश में अरहर दाल की थोक व खुदरा कीमतों में और हो सकती है बढ़ोतरी

देश में अरहर दाल की थोक व खुदरा कीमतों में और हो सकती है बढ़ोतरी

अरहर की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि इसका असर खुदरा बाजार में भी देखने को मिल सकता है। आने वाले दिनों में अरहर दाल के रेट में और इजाफा हो सकता है. हालांकि, थोक मंडी में इजाफा होने से किसान खुश हैं। किसानों का कहना है कि वे अब उपज बेचकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाएंगे।

सरकार ने बफर स्टॉक के लिए इस महीने की शुरुआत में डायरेक्ट किसानों से अरहर की खरीदारी करने की घोषणा की थी। इसके लिए उसने 4 जनवरी को एक पोर्टल लॉन्च किया था. लेकिन अभी तक अरहर की खरीद शुरू नहीं की गई है। हालांकि, अब कीमतों में उछाल से उत्पादकों को कुछ राहत मिली है। कहा जा रहा है कि सरकार एमएसपी या बाजार मूल्य, जो भी अधिक हो, पर बफर स्टॉक के लिए NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से सीधे दाल की खरीद करेगी।

कर्नाटक प्रदेश रेड ग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन का कहा है कि सरकार को जल्द अरहर की खरीद शुरू करनी चाहिए, क्योंकि किसानों के पास भंडारण क्षमता नहीं है। कलबुर्गी में अरहर की मॉडल कीमत 2 जनवरी को 8,111 रुपये क्विंटल थी, लेकिन 20 जनवरी को बढ़कर 9,850 रुपये क्विंटल हो गई. खास बात यह है कि इस दौरान मंडियों में अरहर की आवक दोगुनी हो गई। इसके बावजूद भी कीमत में बढ़ोतरी हुई है। एगमार्कनेट डेटा के अनुसार, इसी तरह बीदर और यादगिरी एपीएमसी यार्ड में 20 जनवरी को अरहर की मॉडल कीमतें 9,593 रुपये और 9,760 रुपये प्रति क्विंटल थीं। इसके अलावा महाराष्ट्र की मंडियों में भी कीमतों में इसी तरह का उछाल देखा गया है।

इसी तरह लातूर में 2 जनवरी का मॉडल रेट 8,550 रुपये क्विंटल था, जो 19 जनवरी को बढ़कर 10,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। यह रेट इस मौसम का सबसे हाई रेट था। जबकि, उसके अगले दिन 20 जनवरी को रेट में 300 रुपये की गिरावट दर्ज की गई, जिससे मूल्य 9,700 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया। लातूर में एक मिल मालिक और एक व्यापारी ने कहा कि सरकार की तुअर खरीद की घोषणा के बाद से किसान कम दरों पर उपज नहीं बेच रहे है।इससे कीमतों में उछाल आई है।न्हें उम्मीद है कि कीमतों में उतार-चढ़ाव कुछ समय तक जारी रहेगा।

वर्ष 2023 के दौरान मानसून में देरी से अरहर की बुआई प्रभावित हुई और पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, उत्पादन लगभग 34.21 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 33.12 लाख टन से थोड़ा अधिक है। मोज़ाम्बिक से अपेक्षित आयात नहीं होने और किसानों से तुअर खरीदने की सरकार की घोषणा से पिछले कुछ हफ्तों में तुअर की कीमतों को समर्थन मिला है. सरकार ने हाल ही में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए तुअर, उड़द और मसूर जैसी दालों के लिए कर मुक्त की आयात की तारीख 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दी।

जानकारी के अनुसार, भारत में अरहर की खपत लगभग 45 लाख टन है और कमी को म्यांमार और पूर्वी अफ्रीका के देशों जैसे मोज़ाम्बिक और मलावी से आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।

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