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ओडिशा : जिन फसलों की खेती छोड़ चुके, फिर उन्हें बोने का आग्रह-अभियान

ओडिशा कैबिनेट ने फसल डायवर्जन कार्यक्रम के तहत 481.94 करोड़ रुपये की एक योजना शुरू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है। इस योजना में ‘मुख्यमंत्री माका मिशन’ भी शामिल है जिसमें मक्का के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने और मार्केटिंग की मूल्य श्रृंखला में सुधार करने की परिकल्पना की गई है।

ओडिशा में अब उन फसलों की खेती को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है, जिसकी खेती करना लोग भूल चुके हैं या छोड़ चुके हैं। इन फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा कैबिनेट ने फसल डायवर्जन कार्यक्रम को हर किसानों तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया है।

कैबिनेट के इस फैसले की घोषणा करते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री निरंजन पुजारी और मुख्य सचिव पीके जेना ने बताया कि मक्का के अलावा, दलहन, तिलहन, कपास और जूट जैसी अन्य फसलों को भी इस योजना के तहत लिया जाएगा। किसानों के उत्पादक संगठनों और महिला स्वयं सहायता समूहों को बेहतर आजीविका का अवसर प्रदान करते हुए उनके आर्थिक स्तर में सुधार करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। इसके तहत इनकी मार्केटिंग सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा और फसलों के बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। मंत्री ने कहा कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

कैबिनेट के अन्य फैसलों के तहत ओडिशा राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड के माध्यम से राज्य में 50 प्रतिशत उर्वरक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पांच वर्षों के लिए 700 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट को मंजूरी दी गई है। इसके तहत किसानों को अधिकृत खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से सही समय और कीमत पर उर्वरक उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। कैबिनेट ने ब्लॉक स्तर पर 55 बस अड्डों के निर्माण, नवीनीकरण और रखरखाव के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी और चार वर्षों में परियोजना के कार्यान्वयन के लिए 373.13 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

कैबिनेट ने उप-किरायेदारों और रैयतों को रैयती अधिकार प्रदान करने के लिए ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम, 1960 की धारा 4 के आवश्यक उप-धारा/खंड में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कहा गया है कि जिन लोगों के पास जमीन सिक्किम भूमि के रुप में दर्ज है उन्हें राजस्व अधिकारी के पास संशोधन के लिए दो साल के भीतर आवेदन करना होगा। फैसले में कहा गया कि उप रैयतों/अंडर रैयतों को प्रति एकड़ 14,200 रुपये मुआवजा जमीन मालिकों को देना होगा।

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