भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से सम्मानित करने का ऐलान कर दिया है। भारत रत्न देने के लिए नामों की सिफारिश भारत के राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। बिहार के समस्तीपुर में जन्में कर्पूरी ठाकुर दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उनका निधन 1988 में हो गया था।
भारत रत्न’ की शुरुआत साल 1954 में हुई थी। साल 1955 से इसे मरणोपरांत भी दिया जाने लगा। भारत रत्न को कला, साहित्य, राजनीति, समाज सेवा से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिया जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक हर साल अधिकतम तीन लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा सकता है। बात दें कि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर साल पुरस्कार दिया ही जाए।
भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को पदक और राष्ट्रपति की ओर से हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इनको कोई धनराशि नहीं दी जाती है। भारत रत्न में दिया जाने वाला मेडल पीपल के पत्ते जैसा दिखता है। दरअसल, यह शुद्ध तांबे से बनाकर तैयार किया जाता है। इस पत्ते पर प्लैटिनम का चमकता सूर्य बना होता है। इसका किनारा भी प्लैटिनम का ही बना होता है।
भारत रत्न मेडल की लंबाई 5.8 सेमी लंबा, चौड़ाई 4.7 सेमी और मोटाई 3.1 मिमी तक की होती है। साथ ही नीचे की तरफ चांदी से हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है। भारत रत्न के दूसरे हिस्से में यानी पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के नीचे हिंदी में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा होता है।
भारत रत्न पाने वाला व्यक्ति अपने बायोडाटा, विजिटिंग कार्ड जैसी चीजों पर ‘भारत रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता’ लिख सकता है। भारत रत्न से जुड़ी एक खास बात यह है कि इस पुरस्कार को पाने वाला व्यक्ति अपने नाम के आगे या पीछे इसे नहीं जोड़ सकता है। बता दें कि सचिन तेंदुलकर के सबसे कम उम्र के वे भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति हैं। उन्हें 40 की उम्र में यह सम्मान मिला। वहीं, डीके कर्वे सबसे अधिक उम्र में भारत रत्न से सम्मानित होने वाली शख्सियत थे। उन्हें 100 साल की उम्र में यह सम्मान मिला था।