केन्द्र सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए चना, चने की दाल और तुअर (अरहर) की दाल की स्टाक सीमा तय करने के बाद अब गेहूं की स्टाक सीमा भी तय कर दी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे बढ़ रही कीमतों पर नियंत्रण रखना संभव होगा। सरकार ने यह फैसला गेहूं और आटा की कीमतों में आयी तेजी के बाद किया है। गेहूं की स्टाक सीमा का आदेश 24 जून 2024 से 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा।
मिली जानकारी अनुसार थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी। उन्होंने बताया कि बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी तथा एकल खुदरा बिक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन की होगी।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एकल खुदरा विक्रेता, बड़ी शृंखला के खुदरा विक्रेता, प्रोसेसर और थोक विक्रेता हर शुक्रवार को अपने पास भंडारित गेहूं के स्टॉक का खुलासा करेंगे।
श्री चोपड़ा ने आगे बताया कि थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि यह प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी। उन्होंने बताया कि बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी तथा एकल खुदरा बिक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन की होगी। हाल ही में मीडिया में आई उन खबरों के मद्देनजर स्टॉक सीमा लगाई गई है, जिनमें कहा गया है कि गेहूं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि जमाखोरी को कम करने के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है।
बताया गया कि एक अप्रैल, 2023 को गेहूं का शुरुआती स्टॉक 82 लाख टन था, जबकि एक अप्रैल, 2024 को यह 75 लाख टन था। उन्होंने कहा कि पिछले साल 266 लाख टन की खरीद की गई थी, जबकि इस साल सरकार ने 262 लाख टन की खरीद की है और खरीद अभी भी जारी है। इसलिए (शुरुआती स्टॉक में) गेहूं की कमी सिर्फ तीन लाख टन की है।