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सब्जियों के दाम बढ़ने से किसानों को कितना लाभ मिलता है

लोकसभा चुनाव खत्म होने के एक हफ्ते बाद ही रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। सब्जियों से लेकर आटा,चावल, तेल ही नहीं दालों के दाम बढ़े हैं। टमाटर ही नहीं प्याज और आलू के दाम भी हाल के दिनों में बढ़े हैं और वे खुदरा बाजार में 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। टमाटर की कीमतें बढ़ने के पीछे भीषण गर्मी और ताप लहर बड़ी वजह है। अप्रैल से लेकर जून के महीने में पड़ी भीषण गर्मी की वजह से टमाटर की फसल प्रभावित हुई. इस कारण मुख्य टमाटर उत्पादक राज्यों से सप्लाई कम हुई। जिसका असर खुदरा बाजार में दिख रहा है।

भारत में टमाटर जैसी फसलों के दाम में उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा होता है. कई बार जब उत्पादन कम और मांग अधिक होती है तो दाम बहुत बढ़ जाते हैं. कई बार तो दाम गिर भी जाते हैं.”

सब्जी उगाने वाले इलाकों में अगर तेज बारिश हो जाए, फसलों को नुकसान हो जाए तो उससे दाम बढ़ जाते हैं। दाम बढ़ने से जाहिर सी बात है कि व्यापारियों को मुनाफा हो जाता है, लेकिन उसके पास माल होगा तभी वह कमा पाएगा, ऐसे में किसानों को भी लाभ हो जाता है।

अप्रैल से ही उच्च तापमान और जलाशयों के गिरते स्तर ने मौसमी सब्जियों जैसे भिंडी, लौकी, बीन्स, गोभी और शलजम को भी प्रभावित किया है। इस बार गर्मी के कारण फसलों को बहुत नुकसान हुआ, खासकर किसानों को सब्जियां में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर आने से किसानों पर इसका सीधा असर होता है और अगर किसान को उस खास फसल में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ होता है तो अगली बार वह उस फसल से बचेगा।

मौजूदा नरेन्द्र मोदी – सरकार ने सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया था, ताकि हम और अधिक कोशिश करें। इस लक्ष्य के संदर्भ में हम कहां हैं, इसका आकलन करने की आवश्यकता है, लेकिन आवश्यक आंकड़े हमारे पास उपलब्ध नहीं है। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अब किसानों को ऐसे बीजों की जरूरत है तो खेतों की मिट्टी, मौसम के बदलते मिजाज और पानी के संकट का सामना करने में सक्षम हों।

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