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चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन : लेकिन गन्ना किसानों की समस्या अभी खेतो में

महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इस समय ज्यादातर जिलों में गन्ना किसानों को दो बड़ी समस्याओं सामना करना पड़ रहा है| पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का भी आरोप है कि चीनी मिल संचालक रिकवरी कम होने की बात कह कर गन्ने के वजन में वजन में कटौती कर रहे हैं| चीनी मिलो द्वारा समय पर किसानों को समय भुगतान न करने की समस्या भी जस की जस बनी हुई है| इसे लेकर सरकारी रवैये में सुधार नहीं हुआ है|

उधर, कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि फरवरी के अंत तक देश में 250 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है| इसमें और वृद्धि की संभावना है|

इस साल उत्पादन इतना बढ़ गया है कि भारतीय चीनी मिल संघ को भी अपना बजट बदलना पड़ा है| अच्छी जलवायु और गन्ने के बढ़े हुए क्षेत्रफल के कारण देश के चीनी उत्पादन में वृद्धि हुई है| लेकिन किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है| बताया जा रहा है कि अकेले महाराष्ट्र राज्य ने 97 लाख टन चीनी के उत्पादन को पार कर लिया है| किसानों का कहना है कि खेत में किसानों के गन्ना कटाई के बाद ही मिलें बंद हुईं तो उत्पादन में और इजाफा होगा|

महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन
देश में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन यूपी और महाराष्ट्र में होता है| इस साल सीजन की शुरुआत से ही महाराष्ट्र आगे है| फरवरी के आखिरी चरण में अकेले महाराष्ट्र से 97 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है| इसी साल मार्च में 100 लाख टन होने का अनुमान है| इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने पहले अनुमान लगाया था कि महाराष्ट्र में इस साल 126 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा| पहले अनुमान लगाया गया था कि यह 117 लाख टन होगा| यह अपने आप में रिकॉर्ड है.

चीनी उत्पादकता के मामले में महाराष्ट्र अभी भी उत्तर प्रदेश से आगे है| यहां पर 2020-21 में 88.90 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता दर्ज की गई थी| इस मामले में महाराष्ट्र देश में चौथे नंबर पर था, जबकि 81.50 टन प्रति हेक्टेयर के साथ उत्पादकता के मामले में उत्तर प्रदेश आठवें नंबर पर रहा| देश में प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता 82.20 टन की है| यहां 11.43 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है|

इस साल रिकॉर्ड गन्ना उत्पादन की उम्मीद है| ऐसे में किसानों की मांग है कि एक-एक खेत से गन्ना मिल तक पहुंचने से पहले मिलों को बंद न किया जाए| भले ही इसके लिए पेराई सीजन को आगे बढ़ाना पड़े| गन्ना उत्पादको कहना है कि यदि खेतों में रह गया तो किसानों को बहुत नुकसान होगा|

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