बिहार सरकार टिशू कल्चर केले की खेती करने वाले किसानों को उनकी लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी देती है| बिहार के भागलपुर में टिशू कल्चर केले की खेती सबसे ज्यादा होती है| उद्यान विभाग 100 हेक्टेयर में टिश्यू कल्चर केले की खेती करने के लिए किसानों को मदद कर रही है| किसानों को केले की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 63500 रुपये का अनुदान भी मिलेगा| यह अनुदान पहले साल 75 प्रतिशत और दूसरे साल 25 प्रतिशत मिलेगा| अनुदान के लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना पड़ेगा| किसानों को पौधा उपलब्ध कराने से पहले आवेदन की जांच भी की जाएगी| भागलपुर जिले में 1402 हेक्टेयर में केले की खेती की जा रही है|
देश में केले की 500 से अधिक प्रजातियां हैं| इसमें टिशू कल्चर केला किसानों के लिए सबसे अधिक मुनाफा देना वाला फल है| इसका पौधा 13 से 15 महीने में फल देने लगता है| जबकि अन्य प्रजातियों के केले के पौधे को तैयार होने में 16 से 17 महीने लग जाते हैं|
किसान टिशू कल्चर केले की खेती करते हैं तो वे 24 से 25 महीने के अंदर दो फसल काट सकते हैं| टिशू कल्चर केले की खासियत है कि इससे तैयार पौधों से 30 से 35 किलो प्रति पौधा केला मिलता है| ये पौधे स्वस्थ और रोग रहित होते हैं. सभी पौधों में पुष्पन, फलन व कटाई एक साथ होती है|
टिशू कल्चर केला औषधीय गुणों से भरपूर है. यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद है| इस केले की खेती कर किसान प्रति एकड़ साढ़े चार लाख रुपये तक कमा सकते हैं. यह फल विटामिंस और मिनरल्स से भरपुर है| लोग इसे हर मौसम में खाना पसंद करते हैं| इसमें कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होती है, जिससे हमारे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं| पका केला विटामिन ए, बी और सी का अच्छा स्रोत होता है| इसके नियमित सेवन से बहुत से बीमारियों का खतरा कम होता है| इसके अलावा यह गठिया, उच्च रक्तचाप, अल्सर और किडनी के विकारों से संबंधित रोगों से बचाव में भी सहायक होता है|