छत्तीसगढ़ के धान की नवीन औषधीय किस्म ‘संजीवनी’ विकसित की गई है, इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसर कोशिकाओं की रोकथाम में उपयोगी पाई गई है। यह धान इंदिरा गांधी कृषि विवि और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने छह वर्षों के शोध के बाद तैयार किया है।
संजीवनी का विकास छत्तीसगढ़ की पारंपरिक औषधीय धान की किस्मों से चयन कर किया गया है। इसके औषधीय गुणों के वैज्ञानिक आधार का विस्तृत विश्लेषण कर इस किस्म को तैयार किया गया है। केवल 10 दिन तक इसका उपयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि देखी गई है। शोध के बाद तैयार संजीवनी किस्म में मौजूद उच्च स्तर के फाइटोकेमिकल्स के कारण ही इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसररोधी औषधीय गुण मिले हैं।
संजीवनी धान में सामान्य धान की अपेक्षा 231 अतिरिक्त फाइटोकेमिकल्स पाए गए हैं, जिनमें से सात मेटोबोलाइट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक ट्रांस्क्रिप्शन फैक्टर को सक्रिय करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बीज उपसमिति ने संजीवनी धान की किस्म की अनुशंसा की है। इसके अलावा बौना लुचई, छत्तीसगढ़ तेजस धान, इंद्रावती धान और छत्तीसगढ़ ट्राम्बे मूंगफली नवीन किस्मों को भी अनुशंसित किया गया है।
विज्ञानियों द्वारा इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में संजीवनी चावल से तीन प्रोटोटाइप उत्पाद तैयार किए गए हैं, जिनमें संजीवनी इंस्टेंट, संजीवनी मधु कल्क और संजीवनी राइस बार शामिल हैं।
संजीवनी इंस्टेंट- एक पात्र में दो चम्मच (8-10 ग्राम) ब्राउन चावल लें। इसे 30 मिलीलीटर गुनगुने गर्म पानी में डालकर 10 मिनट के लिए ढंककर छोड़ दें। पानी को छानकर अलग कर लें। चावल में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।
संजीवनी मधु कल्क- संजीवनी मधु कल्क को प्रसंस्कृत ब्राउन चावल पाउडर को शहद के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे दिन में एक चम्मच सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।
संजीवनी राइस बार- यह बार संजीवनी ब्राउन राइस, अलसी, कद्दू के बीज, चना, सूरजमुखी के बीज और खजूर से तैयार किया गया है। सर्वोत्तम लाभ के लिए नाश्ते से पहले हर दिन एक बार खाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विवि स्थापना दिवस के दिन 20 जनवरी को इसे लांच करने जा रहे हैं। यह किस्म कैंसर के खिलाफ भी कारगर पाई गई है। जानकारी के मुताबिक संजीवनी सामान्य धान से अलग है। इसमें सामान्य धान की तुलना में 231 अतिरिक्त फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं। ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के अनुसार कृषि विश्वविद्यालय में संजीवनी के पांच क्विंटल बीज इस साल तैयार करने का लक्ष्य है। अगले साल सौ क्विंटल का लक्ष्य रहेगा। विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि प्रदेश के किसानों के बीच इस किस्म का ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो।