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गेहूं संकट: क्या सरकार ने निजी व्यापारियों के फायदे के लिए हाथ खड़े किए

राजू सजवाण

केंद्र सरकार ने कहा है कि वह साल 2022-23 के लिए केवल 195 लाख टन गेहूं खरीदेगी। पिछले साल सरकार ने 433 लाख टन गेहूं खरीदा था और इस साल का लक्ष्य 444 लाख टन रखा गया था। यानी कि सरकार इस साल लक्ष्य से लगभग 56 प्रतिशत कम गेहूं खरीदेगी।

ध्यान रहे कि गेहूं को लेकर देश में संकट की स्थिति है। इस स्थिति को स्पष्ट करने के लिए 4 मई 2022 को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया था।

उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की सरकारी खरीद लगभग आधे से भी कम होने की संभावना है। उन्होंने इसके लिए जो कारण गिनाए, वे थे – पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में गर्मी के कारण गेहूं का सूखना और कम उत्पादन होना। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात में किसानों द्वारा व्यापारियों व निर्यातकों को 21 से 24 रुपए प्रति किलो गेहूं बेचना, जबकि एमएसपी 20.15 रुपए है। अधिक कीमत की चाह में किसानों और व्यापारियों द्वारा गेहूं का संग्रहण करना।

अगर गेहूं की सरकारी खरीद नहीं होगी तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दिए जाने वाले राशन का क्या होगा? खाद्य सचिव के पास जवाब था कि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गेहूं की बजाय 55 लाख टन चावल देने का निर्णय लिया है और इस साल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), अन्य कल्याणकारी योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 305 लाख गेहूं वितरित किया जाएगा। जो कि पिछले साल 446 लाख टन था।

उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2022 को केद्रीय पूल में 190 लाख टन गेहूं था और इस साल 195 लाख टन गेहूं खरीदा जाएगा। यानी कि सरकार के पास 385 लाख टन गेहूं होगा। इसमें 305 लाख टन गरीबों-जरूरतमंदों को वितरित किया जाएगा। इस तरह 1 अप्रैल 2023 को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 80 लाख टन गेहूं बचेगा। जबकि तय नियमों के मुताबिक 1 अप्रैल को 75 लाख टन गेहूं रिजर्व स्टॉक में रहना चाहिए। हालांकि 1 अप्रैल 2022 को केंद्रीय पूल के पास 190 लाख टन का रिजर्व था।

उत्पादन को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में 1113 लाख टन गेहूं उत्पादन हो सकता है, लेकिन इसे अब घटा दिया गया है। अनुमान है कि देश में 1050 लाख टन गेहूं उत्पादन होगा। यानी कि अब लगभग 5 फीसदी कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए भारत के व्यापारी निर्यात के लिए गेहूं की खरीददारी कर रहे हैं। सरकार भी व्यापारियों को बढ़ावा देकर अपना निर्यात लक्ष्य में वृदि्ध करना चाहती है।

खाद्य सचिव ने स्पष्ट किया कि गेहूं को लेकर उपजे ताजा हालात का असर निर्यात पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सरकारी प्रयासों के चलते कई देशों जिसमें मिश्र भी शामिल है, ने भारत से गेहूं खरीदने का निर्णय लिया है। अब तक लगभग 40 लाख टन के अनुबंध हो चुके हैं और केवल अप्रैल माह में 11 लाख टन गेहूं निर्यात हो चुका है। इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कह चुके हैं कि भारत का लक्ष्य 100 लाख टन गेहूं निर्यात का है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय पूल में इस समय चावल का सरप्लस है। पिछले साल सरकार ने 600 लाख टन खरीदा था। इस साल भी इतना ही चावल खरीदे जाने की संभावना है। जबकि एनएफएसए के तहत 350 लाख टन चावल बांटा जाता है।

इससे पहले सरकार ने पंजाब में 5 मई से गेहूं की सरकारी खरीद न करने की घोषणा की है। हवाला दिया गया कि गेहूं मंडियों में कम आ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1 मई 2022 तक देश में लगभग 162 लाख टन गेहूं खरीदा, जिसमें से पंजाब से 89.10 लाख टन गेहूं खरीदा है। जबकि पंजाब से 132 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया था।

ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि सरकारी खरीद का लक्ष्य कम करके सरकार निजी व्यापारियों के लिए खरीद का रास्ता तो साफ नहीं कर रही है।

By – डाउन टू अर्थ

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