गांवों के जलस्तर की गहराई के साथ पिछले 10 वर्षों (जून-2010 से जून-2020) के गिरावट के आंकड़े जुटाए गए हैं। 30 मीटर से अधिक पानी गहराई वाले गांवों को गंभीर रूप से भूजल संकट ग्रस्त गांवों के रूप में शामिल किया गया है। रेड जोन वाले 957 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है। 707 गांवों में गिरावट दर 1.01-2.00 मीटर प्रति वर्ष के मध्य है। 79 गांवों में गिरावट दर 2.0 मीटर प्रति वर्ष से अधिक है। 37 गांवों के भूजल स्तर में कोई गिरावट नहीं आई है।
पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर 203 गांवों में हाई ट्रेंड है, जो 0.01 मीटर प्रति वर्ष से अधिक या बराबर है। 1.50 मीटर से कम जल स्तर वाले गांवों को गंभीर रूप से सेम ग्रस्त गांवों को नीली श्रेणी में शामिल किया है। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर 72 गांवों में हाई ट्रेंड है, जो 0.01 मीटर प्रति वर्ष से अधिक या बराबर है। 13 गांवों में हाई ट्रेंड दर्ज नहीं किया गया है।
जून 2020 के भू-जल स्तर के आंकड़ों के अनुसार इस श्रेणी में 1041 गांव आते हैं। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर 874 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष है। 102 गांवों में गिरावट दर 1.01-2.00 मीटर प्रति वर्ष है। 1.51 से 3.00 मीटर की जल तालिका वाले गांवों को सेम ग्रस्त गांवों के रूप में वर्गीकृत किया है। ये गांव बैंगनी श्रेणी में शामिल किए हैं।
भूजल स्तर के आधार पर गांवों के प्रस्तावित वर्गीकरण को लेकर जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे जा चुके हैं। घटते भूजल स्तर पर सरकार ने चिंता जताते हुए स्थिति सुधारने के लिए राज्य को विभिन्न जोन में बांटने के निर्देश दिए हैं। जिन गांवों में भूजल स्तर कम है, वहां अटल भूजल योजना के तहत उच्च गुणवत्तापूर्ण कार्य में तेजी आएगी।