लेमन ग्रास या नींबू घास एक बेहतरीन औषधीय और सुगंधित पौधा है| झारखंड के 5 जिलों के 10 प्रखंड में लेमन ग्रास की खेती हो रही है| करीब 12,500 ग्रामीण महिलाएं लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी हैं| चार महीने में तैयार होने वाले इस पौधे की काफी मांग है| इसकी पत्तियां और उससे निकलने वाले तेल से कई सामानों का निर्माण होता है| वहीं एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एवं एंटी-फंगल गुण होने के कारण इसकी महत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है| इसका उपयोग मेडिसिन, कॉस्मेटिक, डिटरजेंट समेत अन्य सामानों में उपयोग में लाया जाता है| लेमन ग्रास का तेल 2 हजार से 4 हजार प्रति किलोग्राम तक बाजार में बिकता है|
लेमन ग्रास की खेती से न सिर्फ ग्रामीण महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भर बन कर दूसरी महिलाओं को प्रोत्साहित भी कर रही हैं| गुमला के बिशुनपुर प्रखंड में विकास भारती के अलावा जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) से जुड़ीं सखी मंडल की महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर रही है|
औषधीय पौधे लेमन ग्रास की खेती झारखंड के 5 जिलों के 10 प्रखंडों में होती है| इसके तहत खूंटी जिला का खूंटी प्रखंड, सिमडेगा के तीन प्रखंड टेठईटांगर, जलडेगा और बानो, लातेहार के मनिका और बरवाडीह प्रखंड, गुमला के बिशुनपुर और डुमरी प्रखंड तथा हजारीबाग के कटकमसांडी और दारू प्रखंड में लेमन की खेती होती है|
लेमन ग्रास से कई फायदे हैं| एक तो इसकी पत्तियों को सूखा कर चाय में उपयोग किया जा सकता है| वहीं, इसे सुखा कर और तेल निकाल कर मेडिसिन के अलावा साबुन, फिनाइल, फ्लोर क्लिनर, अगरबत्ती, कॉस्मेटिक आदि में उपयोग किया जाता है| एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी व एंटी-फंगल आदि गुणों से भरपूर होने के कारण यह कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से बचाता है| इसमें 75 फीसदी सिट्रल पाया जाता, जिसके कारण ही इसकी खुशबू नींबू जैसी होती है| इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने का काम करता है| वहीं, इसमें आयरन की मात्रा होने के कारण यह एनीमिया रोगियों के लिए लाभदायक होता है| इसके नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है|
शुरुआत के समय लेमन ग्रास के पौधे 4 महीने में तैयार हो जाते हैं| इसके बाद हर 3-3 महीने में इसे उपयोग में लाया जा सकता है| झारखंड में 12,500 ग्रामीण महिलाएं इस कार्य में लगी है| खेतों की देखभाल से लेकर पत्तियों की कटाई और पत्तियों से तेल निकालने में इसकी सहभागिता रहती है| इस कार्य के लिए जेएसएलपीएस हरसंभव सहयोग करता है|
झारखंड राज्य के घोर उग्रवाद प्रभावित गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड की 50 आदिवासी महिलाएं 28 एकड़ खेत में लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं| दो साल पहले शुरू हुई लेमन ग्रास की खेती ने आज पूरे देश में अपनी पहचान बना लिया है| प्रधानमंत्री ने बिशुनपुर में हो रहे लेमन ग्रास की खेती की प्रशंसा किये हैं| आदिवासी महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर अपना जीवन स्तर सुधार रही है. बेती, नवागढ़, सेरका गांव में इसकी खेती की जा रही है|
लेमन ग्रास की खेती बंजर जमीन पर भी हो सकती है| साथ ही इसके लिए सिंचाई की आवश्यकता ना के बराबर होती है| एक बार पौधा लगाने के बाद इसे तीन साल तक कटाई कर सकते हैं| प्रत्येक तीन महीने में घांस की कटाई होती है| इसके पौधे को जानवर नहीं खाते हैं| इसलिए जानवरों से इसे कोई खतरा नहीं होता है| लेमन ग्रास में कीट और बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है| इसलिए यह कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा वाला बिजनेस हैं|