सूबे में रोजगार के अवसर को विस्तार देकर मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत रंगीन मछलियां पालने के लिए भी सरकार अनुदान देगी। इसी क्रम में सूबे की सरकार सर्दियों में बढ़ने वाले फलदार वृक्षों की पौध भी मुहैया करा रही हैं।
कृषि और बागवानी के बाद हिमाचल प्रदेश में मछली पालन रोजगार का जरिया बनेगा। प्रदेश सरकार मछली पालन के लिए नीति तैयार कर रही है। प्रदेश के किस क्षेत्र में कौन सी मछली का उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए सर्वे किया जाएगा। युवाओं को मछली पालन पर 90 फीसदी तक अनुदान दिया जाएगा।
प्रदेश में पैदा होने वाली मछली की मार्केटिंग के लिए बाहरी राज्यों और विदेशों तक सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। हिमाचल में फिश फार्मिंग को शुरू करने के लिए सरकार बेरोजगार युवाओं को आर्थिक और तकनीकी मदद उपलब्ध करवाएगी।
मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सर्वे होगा। किस क्षेत्र में कौन सी मछली का उत्पादन हो सकता है इसकी संभावना तलाशेंगे। मछली पालन के लिए सरकार 90 फीसदी अनुदान देगी। नदियों के तापमान के आधार पर ट्राउट और ट्रॉपिकल फिशरी को लेकर योजना बनेगी।
ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग को भी प्रोत्साहन
घरों में पाली जाने वाली रंगीन सजावटी मछलियों के उत्पादन के लिए ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। शहरों के साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग घरों में मछलियां पाल रहे हैं जिससे इनकी मांग बढ़ रही है। सरकार ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग के लिए अनुदान देगी। हालांकि खाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मछली के मुकाबले सजावटी मछली पालन अधिक सावधानी का काम है।
हिमाचल प्रदेश के बाजार में बढि़या किस्म की मछलियों की भारी मांग के चलते अच्छी कमाई होगी। सरकार अपने स्तर पर मछली बीज बैंक स्थापित करेगी और फिश फार्मिंग के लिए बीज उपलब्ध करवाएगी। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंडे पानी की ट्राउट और गर्म इलाकों में ट्रॉपिकल फिशरीज उत्पादन होगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार को मछली पालन योजना लागू करने का जिम्मा सौंपा है। इसी सिलसिले में कृषि मंत्री 21 नवंबर को वर्ल्ड फिशरीज डे पर गुजरात में राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी भाग ले चुके हैं।