तेलंगाना में किसानों को बताया जाएगा कि वह अपने खेतों में क्या और कैसे उगाएं। यह राज्य ऐसा करने वाला देश का शायद पहला राज्य होगा। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि यह बदलाव धान से शुरू होगा जो 50 लाख एकड़ तक सीमित होगा। वहीं 10 लाख एकड़ में अरहर की जाएगी। सरकार जल्द ही घोषणा करेगी कि किन क्षेत्रों में क्या फसल की खेती की जानी चाहिए।
अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार उन किसानों का समर्थन नहीं करेगी जो नए निर्देशों का पालन नहीं करेंगे। लेकिन यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया है कि उन्हें सरकार की योजना ‘रायथू बंधु’ का लाभ मिलेगा कि नहीं। वर्तमान में राज्य सरकार हर किसान को प्रति वर्ष 10,000 रुपये प्रति एकड़ देता है चाहे वह जमीन पर खेती करता हो या नहीं।
बयान में कहा गया है कि नियामक खेती से किसानों को फायदा होगा क्योंकि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उनकी उपज की मांग सुनिश्चित होगी। इसके लिए केसीआर 15 मई को क्षेत्र के अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। राज्य में बीज की जांच के लिए बीज नियामक प्राधिकरण भी बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में स्थितियां यह हैं कि अगर कोई उत्पादित फसल बेचना चाहता है तो कोई खरीददार नहीं हैं और कोई कृषि उपज खरीदना चाहता है तो कीमतें आसमान छू रही होती हैं। यह स्थिति कई वर्षों से प्रचलन में है और अब इस समस्या का समाधान होगा।
एक ही किस्म की खेती करने वाली प्रथा खत्म
राज्य ने सुझाव दिया कि तेलंगाना को सोना किस्म के धान की खेती 10 लाख एकड़, कपास की 50 लाख एकड़ और अरहर की 10 लाख एकड़ में करनी चाहिए। सरकार ने शहरी क्षेत्रों के पास के खेत में सब्जियों को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया। सरकार किसानों को यह भी सुझाव देगी कि किन क्षेत्रों में सब्जियां उगाई जाएं। सीएम ने कहा, ‘जब में परिवहन मंत्री था, तब से किसानों से कहता आ रहा हूं उन्हें अब उन फसलों को उगाना चाहिए जिनकी पिछले 20 वर्षों से मांग है। एक ही तरह की फसल की खेती करने वाले सभी लोगों को अब यह प्रथा समाप्त करनी चाहिए।’
नकली बीज बेचने वाली फर्मों के खिलाफ कार्रवाई
नया बीज नियामक प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि सिर्फ सरकार की ओर से चिन्हित फसलों के ही बीज बेचे जाएं। अगर जरूरत पड़ी तो सरकार बीज अधिनियम में बदलाव लाएगी। सीएम ने जल्द ही बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक विशेष बैठक करने का फैसला किया है।
सरकार नकली और खराब बीज बेचने वालों की पहचान करेगी और उनके खिलाफ पीडी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाएगा। चूंकि सरकार को लगता है कि नकली कपास और लाल मिर्च के बीज की बड़ी डंपिंग होगी, इसलिए इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।