अभी मार्च का महीना समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में किसान रबी सीजन की फसलें खेतों से निकालने की तैयारी कर रहे है। रबी सीजन की फसलों के बाद किसानों के खेत चार महीने तक खाली रहते हैं और इन खाली खेतों में अब जून में बारिश होने के बाद बोवनी होगी। इस बीच किसान अपने खाली खेत में खरबूज-तरबूज की खेती कर लाभ कमा सकता है। गर्मी के दिनों में खरबूज-तरबूज खूब बिकेंगे और खाली पड़ी जमीन का उपयोग भी हो जाएगा।
गर्मी के दिनों में खरबूजे की खेती कर एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 250 किवंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। जिससे किसान इसकी एक बार की फसल से 3 से 4 लाख की कमाई कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। खरबूजे के बीज पर सरकार से 35 फीसदी तक का अनुदान भी मिलता है।
खरबूजे की खेती में रोपाई बीज और पौध दोनों ही रूप में की जा सकती है। एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन एक से डेढ़ किलो बीजों की आवश्यकता होती है, तथा बीज रोपाई से पूर्व उन्हें कैप्टान या थिरम की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है। इससे बीजों को आरम्भ में लगने वाले रोग का खतरा कम हो जाता है।
इन बीजों को क्यारियों और नालियों के दोनों ओर लगाया जाता है। इन बीजों को दो फीट की दूरी और 2 से 3 सेमी की गहराई में लगाया जाता है। बीज रोपाई के पश्चात् टपक विधि द्वारा खेत की सिंचाई कर दी जाती है। खरबूजों के बीजों की रोपाई फरवरी के महीने में की जाती है तथा अधिक ठंडे प्रदेशो में इसे अप्रैल और मई के माह में भी लगाया जाता है।
इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है। बाद में सप्ताह में दो सिंचाई की आवश्यकता होती है, तथा बारिश का मौसम हो तो जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करे।