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सबसे कम बरसात वाला अगस्त महीना बजा गया ‘सूखे’ के ख़तरे की घँटी

भारत के मौसम विभाग का अनुमान है कि मौसमी प्रभाव अल नीनो के कारण सितंबर महीने में बारिश बेहद कम हो सकती है। जिसके बाद यह 2015 के बाद सबसे कम बारिश वाला मानसून होगा। अगस्त का महीना सदी में सबसे सूखा अगस्त रहा है।

भारतीय मौसम विभाग ने आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “अल नीनो ने अगस्त में बारिश को प्रभावित किया. सितंबर की बारिश पर भी इसका असर पड़ेगा।”

भारत के मौसम विभाग का अनुमान है कि मौसमी प्रभाव अल नीनो के कारण सितंबर महीने में बारिश बेहद कम हो सकती है, जिसके बाद यह 2015 के बाद सबसे कम बारिश वाला मानसून होगा. अगस्त का महीना सदी में सबसे सूखा अगस्त रहा है।

भारत के सभी सूबों में ज्यादातर किसान बारिश के भरोसे अपनी खेती करते हैं। इसी कारण सभी सूबों और केंद्र की सरकार खेती को लाभकारी बनाने के लिए पशुपालन और खेती आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। भारतीय मौसम विभाग ने आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “अल नीनो ने अगस्त में बारिश को प्रभावित किया. सितंबर की बारिश पर भी इसका असर पड़ेगा।”

अन्य अधिकारी ने बताया, “सितंबर में उत्तरी और पूर्वी महीनों में औसत से कम बारिश हो सकती है लेकिन दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून बेहतर रह सकता है।”

सितंबर महीने की बारिश सर्दी की फसलों जैसे गेहूं और मटर आदि के लिए जरूरी होती है। अगस्त में बारिश कम हुई है, इसलिए सितंबर में किसानों को ज्यादा बारिश की जरूरत होगी क्योंकि भू-जल स्तर पहले ही नीचे जा चुका है। अगर ऐसा नहीं होता है तो सर्दी की फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

अगस्त महीने की शुरुआत में ही मौसम विभाग ने कहा था कि पिछली एक सदी में यह सबसे सूखा अगस्त होगा। पूरे मौसम में ही बारिश की मात्रा ऊपर-नीचे होती रही है। जून में बारिश औसत से 9 फीसदी कम हुई थी।

तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले भारत के लिए मानसून बेहद अहम है। देश में फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी कुल पानी का 70 फीसदी मानसून से ही मिलता है। अधिकतर तालाब भी पानी के लिए मानसून पर ही निर्भर हैं। देश की करीब आधी कृषि भूमि के पास आज भी सिंचाई के अन्य साधन उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे हालात में मानसून का कम होना ना सिर्फ कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालता है। जून से सितंबर के बीच भारत के अलग-अलग हिस्सों में मानसून की बारिश होती है। माना जा रहा है कि इस साल कम से कम आठ फीसदी कम बारिश होगी, जो 2015 के बाद सबसे कम है। वर्ष 2015 में भी अल नीनो के कारण मानसून सूखा रहा था।।Images Credit – Google

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