tag manger - तिल की खेती : कम पानी वाले क्षेत्रों में साल में तीन बार फसल – KhalihanNews
Breaking News

तिल की खेती : कम पानी वाले क्षेत्रों में साल में तीन बार फसल

भारत में तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व तेलांगाना में होती है। इनमें सबसे अधिक तिल का उत्पादन उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किया जाता है।

तिल की खेती साल में तीन बार की जा सकती है। खरीफ में इसकी बुवाई जुलाई माह में होती है। अद्र्ध रबी में इसकी बुवाई अगस्त माह के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर माह के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन फसल के लिए इसकी बुवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह से फरवरी के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है।

तिल की अधिक उपज देने वाली किस्मे

टी.सी. 25 तिल : यह सामान्य ऊँचाई 90 से 100 सें.मी. के पौधों वाली किस्म है। जल्दी पकने वाली इस किस्म में फूल 30 से 35 दिन में आने लगते हैं तथा फसल 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

हर पौधे पर औसतन 4-6 शाखाएँ होती हैं जिन पर 65-75 फलियाँ लगती हैं। फलियों में बीज की चार कतारें होती हैं। फलियाँ 2.6 से 2.9 सें.मी. लम्बी एवं 2.7 से 3.00 सें.मी. गोलाई की होती हैं।

एक फली में बीजों की संख्या 65-75 होती है। इस किस्म की एक विशेषता यह है कि नीचे से ऊपर तक सभी फलियाँ एक साथ पकती हैं जिससे फसल काटते समय बीजों के बिखरने का खतरा नहीं रहता है।

आर टी 351 तिल – सफेद चमकीले बीज वाली तिल की इस किस्म के पौधों पर फलियां चौगर्धी लगती है तथा फसल लगभग 85 दिन में पक जाती है।

इसके बीजों में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तथा औसत उपज 7-10 क्विटल प्रति हैक्टर होती है यह किस्म पर्ण कुंचन, फिलोडी तथा तना, जड़ गलन रोगों के लिए प्रतिरोधी तथा सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा व फली छेदक कीड़े के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है !

आर.टी. 127 तिल : यह एक सूखा रोधी, जिसके पौधे की औसतन ऊँचाई 90-135 से.मी., बुवाई के 30-35 दिन बाद फुल आने वाली, 75-84 दिन में पककर औसत उपज 600-900 किग्रा.प्रति हैक्टर देने वाली किस्म है।

इसके बीज सफेद, चमकदार, सुडौल, जिसमें 49.5 प्रतिशत तेल होता हैं। इस किस्म में गाल मक्खी व वरूथी (माइट्स) का प्रकोप अन्य किस्मों की तुलना मे अपेक्षाकृत कम होता हैं। इसमें

तना गलन रोग, फिलोडी एवं जीवाणु पत्ती धब्बा रोग के प्रति सहनशीलता हैं। इस किस्म की निर्यात गुणवत्ता उच्च हैं।

आर.टी. 46 तिल : यह एक सामान्य ऊँचाई 100- 120 सें.मी. के पौधों वाली किस्म है। इसमें 3-4 शाखाएं पाई जाती हैं। इसके बीज का रंग सफेद होता है तथा यह 85-90 दिन में पककर तैयार होती है। इसकी उपज 10-12 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त की जा सकती है।

आर.टी. 125 तिल : यह एक सामान्य ऊँचाई 100-120 सें.मी. के पौधों वाली किस्म है। इसमें 2-3 शाखायें व फलियाँ चार कक्षीय होती हैं। इसके बीजों का रंग सफेद होता है तथा औसत 1000 दानों का वजन 3.14 ग्राम होता है।

इसकी सभी फलियाँ लगभग एक साथ पकती हैं। इसलिये झड़ने से नुकसान कम होता है। इसके पकने की अवधि 80-85 दिन तथा उपज 10-12 क्विंटल प्रति हैक्टर मिलती है।

टी.सी. 25 तिल : यह सामान्य ऊँचाई 90 से 100 सें.मी. के पौधों वाली किस्म है। जल्दी पकने वाली इस किस्म में फूल 30 से 35 दिन में आने लगते हैं तथा फसल 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

हर पौधे पर औसतन 4-6 शाखाएँ होती हैं जिन पर 65-75 फलियाँ लगती हैं। फलियों में बीज की चार कतारें होती हैं। फलियाँ 2.6 से 2.9 सें.मी. लम्बी एवं 2.7 से 3.00 सें.मी. गोलाई की होती हैं।

एक फली में बीजों की संख्या 65-75 होती है। इस किस्म की एक विशेषता यह है कि नीचे से ऊपर तक सभी फलियाँ एक साथ पकती हैं जिससे फसल काटते समय बीजों के बिखरने का खतरा नहीं रहता है।

इस किस्म की औसत उपज 425 किलो प्रति हैक्टर है। इस किस्म के बीजों का रंग सफेद तथा तेल की मात्रा 49 प्रतिशत होती है।

मानसून की पहली वर्षा आते ही एक या दो बार खेत की अच्छी तरह जुताई करके भूमि को तैयार कर लें।

बीज की मात्रा एवं बुवाई तिल की शाखा वाली किस्मों के लिये दो से ढाई किलोग्राम बीज की मात्रा एक हैक्टर क्षेत्रफल में बोने के लिये पर्याप्त होगी। शाखा वाली किस्मों जैसे टी. सी. 25 को कतारों में 35 सें.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 सें.मी. रखते हुए बुवाई करें।

शाखा रहित किस्मों में कतार से कतार की दूरी 30 सें.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 10 सें.मी. रखें क्योंकि शाखा रहित किस्मों के पौधे अधिक नहीं फैलते हैं। अतः इनके बीच में कम फासला रखा है।

तिल के पौधों की संख्या प्रति हैक्टर अधिक होने के कारण ऐसी किस्मों के लिए 4-5 किलोग्राम बीज काफी रहता है। तिल की बुवाई खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों के बाद प्राथमिकता के आधार पर करें।

तिल को ग्वार या मूंग के साथ कतारों में बोने से दूसरी दलहनी फसलों की अपेक्षा अधिक उपज व आमदनी मिलती है।

About admin

Check Also

देश के सभी जिलों में स्थापित होंगे सहकारी बैंक

केन्द्र सरकार ने केंद्र ने देश के प्रत्येक जिले में एक सहकारी बैंक और एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *