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रूस के काला सागर पहल समझौते को रद्द करने से कई देशों में अन्न-संकट

यूक्रेन विश्व स्तर पर गेहूँ, मक्का, रेपसीड, सूरजमुखी के बीज़ और सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। भारत भी युनान से तिलहन व सामग्री आयात करता है। यूक्रेन काला सागर में गहरे समुद्र तक पहुँच इसे मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के बंदरगाह के साथ रूस एवं यूरोप से सीधे संपर्क रखने में सक्षम बनाती है।

इस पहल को वैश्विक स्तर पर संकट के आलोक में जीवन निर्वाह में सहायता करने का श्रेय भी दिया गया है। इस पहल के शुरू होने के बाद से लगभग 9.8 मिलियन टन अनाज का निर्यात किया गया है।

रूस के यूक्रेन पर चल रहे आक्रमण के बीच, रूस और यूक्रेन ने जुलाई 2022 में इस्तांबुल में तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के साथ काला सागर अनाज पहल पर अलग से हस्ताक्षर किए, जो काला सागर बंदरगाहों से यूक्रेनी अनाज और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात की अनुमति देता है। यह पहल, शुरुआत में 120 दिनों के लिए प्रभावी थी। नवंबर 2022 के मध्य में इसे 120 दिनों के लिए 18 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया। उस समय, रूस केवल 60 दिनों के लिए सौदे को बढ़ाने पर सहमत हुआ।

रूस के यूक्रेन पर चल रहे आक्रमण के बीच, रूस और यूक्रेन ने जुलाई 2022 में इस्तांबुल में तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के साथ काला सागर अनाज पहल पर अलग से हस्ताक्षर किए, जो काला सागर बंदरगाहों से यूक्रेनी अनाज और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात की अनुमति देता है। यह पहल, शुरुआत में 120 दिनों के लिए प्रभावी थी। नवंबर 2022 के मध्य में इसे 120 दिनों के लिए 18 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया। उस समय, रूस केवल 60 दिनों के लिए सौदे को बढ़ाने पर सहमत हुआ।

 

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