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पंजाब में बांसमती का बढ़कर दस लाख हेक्टेयर होने की उम्मीद

भारतीय बासमती चावल की खुश्बू विदेश में भी है। बासमती धान की खेती करने वालों में पंजाब और हरियाणा के किसान आगे है। इन्हीं सूबों से बांसमती चावल का निर्यात किया जाता है। पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए बांसमती चावल मुनाफा देने वाली उपज है।मानसून की अच्छी ख़बर के साथ पंजाब में बांसमती धान की बुवाई का रकबा बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इस बार करीब दस लाख हेक्टेयर में बांसमती की खुशबूदार उन्नत किस्में बोने की तैयारी है। पंजाब में धान की बुवाई 11 जून से ही शुरू हो गई है। इस बार राज्य सरकार को 32 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान बुवाई की उम्मीद है। इसी बीच प्रदेश के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा है कि राज्य सरकार का लक्ष्य धान की बुआई के मौसम में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बासमती की फसल के अंतर्गत लाना है। गुरमीत सिंह खुड्डियां अपने कार्यालय में विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 2024-25 में लगभग दस लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सुगंधित फसल के अंतर्गत लाया जाएगा, जबकि पिछले साल यह 5.96 लाख हेक्टेयर था।

श्री खुंडडयां ने कहा कि उन्होंने कहा कि अधिकतम किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पंजाब सरकार उन्हें प्रति एकड़ 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता दे रही है। उन्होंने आगे बताया कि विभाग ने चालू बुआई के मौसम के दौरान दो लाख हेक्टेयर धान (गैर-बासमती) को इस तकनीक के तहत लाने की योजना बनाई है, जो पिछले साल 1.70 लाख हेक्टेयर थी।

गौरतलब है कि पिछले साल 31.93 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी, जिसमें 5.87 लाख हेक्टेयर में बासमती धान का रकबा था। यह बासमती के तहत अब तक का सबसे अधिक रकबा था। हालांकि, इस साल 6 जिले मुक्तसर, फरीदकोट, मानसा, बठिंडा, फाजिल्का और फिरोजपुर में धान की रोपाई आधिकारिक तौर पर 11 जून से शुरू चुकी है। शेष 17 जिलों मोगा, संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, एसएएस नगर, रूपनगर, लुधियाना, कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर, शहीद भगत सिंह नगर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट में 15 जून से हुई है।

कृषि मंत्री ने गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए गुरदासपुर, बठिंडा और एसएएस नगर (मोहाली) में स्थापित की जा रही जैव उर्वरक परीक्षण प्रयोगशालाओं की प्रगति की भी समीक्षा की। विशेष मुख्य सचिव (विकास) केएपी सिन्हा ने मंत्री को बताया कि गुरदासपुर प्रयोगशाला के लिए 80 लाख रुपये पहले ही निर्धारित किए जा चुके हैं और जल्द ही उपकरण खरीदे जायेंगे।

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