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ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस पर मजबूत की अपनी पकड़|

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पार्टी अध्यक्ष के अलावा तमाम संगठननिक पद खत्म कर दिए हैं| उन्होंने 20 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया है| नई कार्यकारिणी ही अब पार्टी का कामकाज देखेगी| ममता बनर्जी ही इस पार्टी की इस समिति की प्रमुख हैं|

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की दलील है कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति पर जारी विवाद की वजह से अभिषेक के क़रीबी नेताओं ने राष्ट्रीय महासचिव पद से उनके इस्तीफ़ा देने का संकेत दिया था|

इसी वजह से ममता ने एक झटके में तमाम पद ख़त्म कर दिए| पद ही ख़त्म हो गया तो कोई इस्तीफ़ा कैसे देगा? हालांकि, इस मुद्दे पर कोई नेता सार्वजनिक रूप से कुछ कहने को तैयार नहीं हैं| पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था, “ममता ने किसी से सलाह-मशविरा किए बिना ही ख़ुद यह फ़ैसला किया है.”सलाहकार

शनिनार की बैठक में कुल आठ नेता मौजूद थे| इसमें ममता की ओर से हाल में बनाई गई कोर कमिटी के सदस्यों के अलावा सांसद सुदीप बनर्जी को भी बुलाया गया था|

तृणमूल कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभिषेक बनर्जी की ओर से ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति पर ज़ोर देने के कारण ही पार्टी में विवाद शुरू हुआ था|

पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद उन्होंने इस नीति को लागू करने का प्रयास किया था. इस दिशा में कुछ पहल भी की गई थी|लेकिन कोलकाता नगर निगम चुनाव से पहले मंत्री और मेयर फिरहाद हकीम के मामले में पहली बार इसकी अनदेखी की गई|

इस नीति के उलट फिरहाद को नगर निगम चुनाव का टिकट दिया गया था| उसके बाद ही पार्टी में असंतोष की सुगबुगाहट होने लगी थी| लेकिन 108 शहरी निकायों के चुनावों के समय पार्टी के उम्मीदवारों की सूची के मुद्दे पर यह विवाद चरम पर पहुँच गया| इसके लिए पार्टी के उम्मीदवारों की दो-दो सूची सामने आई थी| तब कहा गया था कि पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल (फ़ेसबुक और ट्विटर पर) से जो सूची जारी की गई थी उसे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ़ पीके की कंपनी आई-पैक ने तैयार किया था जबकि दूसरी सूची पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी ने बनाई थी| इस वजह से मतभेद और भ्रम बढ़ा|
आख़िर में ममता बनर्जी को हस्तक्षेप करते हुए सफ़ाई देनी पड़ी कि पार्थ और सुब्रत के हस्ताक्षर से जारी सूची ही अंतिम और आधिकारिक है| उधर, पीके की कंपनी ने हालांकि इस आरोप का खंडन कर दिया लेकिन तब तक इससे जितना नुक़सान होना था वह हो चुका था|
पार्टी के एक नेता ने बताया कि शनिवार की बैठक में इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई. अभिषेक बनर्जी पूरी बैठक के दौरान लगभग चुप्पी साधे बैठे रहे |

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