4,500 रुपये प्रति टन गन्ना मूल्य और 2017 से पहले सभी लंबित बिजली बिलों की माफी की मांग को लेकर सैकड़ों गन्ना किसानों ने सोमवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के घर का घेराव करने की कोशिश की। पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोका और उनमें से कुछ को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया। किसान राज्य के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के सभी हिस्सों से आए थे, जैसे उत्तरी, मध्य और दक्षिण कर्नाटक जिले मुख्य रूप से मांड्या से जहां 11 लाख एकड़ से अधिक भूमि गन्ने की खेती के अंतर्गत आती है।
गन्ना किसान नेता बड़गलपुरा नागेंद्र ने कहा कि, सरकार ने वादा किया था कि सरकार 2017 से पहले सभी गन्ना उत्पादकों के बिजली बिलों का भुगतान करेगी, जो सरकार ने अब तक नहीं किया है। गन्ने का मूल्य भी संशोधित नही किया गया है। उन्होंने कहा कि, सरकार में कई विधायक, कैबिनेट मंत्री और पूर्व मंत्री चीनी मिलों के मालिक हैं, हमें ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार खुद को किसान हितैषी नीतियां बनाने से दूर रखकर चुपचाप उनका समर्थन कर रही।
किसानों द्वारा गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की तत्काल घोषणा की मांग को लेकर हजारों किसानों ने सोमवार को शहर में प्रदर्शन किया। कर्नाटक राज्य गन्ना किसान संघ ने किसानों के उत्पाद- लागत में वृद्धि के मद्देनजर ज्यादा एफआरपी की मांग की है।संघ के अनुसार, कर्नाटक को भी उत्तर प्रदेश सरकार का अनुकरण करना चाहिए, जहां प्रति टन गन्ना मूल्य ज्यादा है। संघ के अध्यक्ष कुरबुर शांता कुमार ने कहा कि, राज्य में किसानों को अभी तक उनका 300 करोड़ रुपये बकाया नहीं मिला हैं, जिससे किसानों का वित्तीय संकट और बढ़ रहा हैं। उन्होंने कहा कि, चालू वर्ष के दौरान गन्ने की खेती के रकबे में वृद्धि हुई है और उपज में भी वृद्धि हुई है। हालांकि गन्ने की पेराई शुरू हो गई है, गन्ना मूल्य की घोषणा अभी बाकी है, जिसके कारण चीनी मिलों को किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान करने में देरी हो रही है।
प्रदर्शनकारी 4,500 रुपये प्रति टन गन्ना, पुराने बिलों का तत्काल भुगतान और बिजली बिलों का भुगतान न करने पर कार्रवाई रोकने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी समस्याओं से आंखें मूंद चुकी है। उनका कहना था कि कई कैबिनेट मंत्री चीनी फैक्ट्रियों के मालिक हैं, उन्हें गन्ना किसानों को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए।