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झारखंड में अकाल की आहट, बारिश सामान्य से 45 फीसदी कम

झारखंड में सामान्य से करीब 45 फीसदी कम बारिश हुई है| बारिश की कमी का असर अब खेती-बारी पर दिखने लगा है| धान का बिचड़ा पीला पड़ने लगा है| आगामी 15 जुलाई तक मौसम के मिजाज में कोई विशेष बदलाव की उम्मीद नहीं है| मॉनसून भी बहुत सक्रिय नहीं होगा|

मानसून की बेरुखी ने धनबाद के किसानों की चिंता बढ़ा दी है| अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में लगे धान के बिचड़े खराब होने लगे हैं| आज भी क्षेत्र के किसान अच्छी बारिश के इंतजार में हैं|

राज्य में सबसे खराब स्थिति संताल परगना के साहिबगंज की है| यहां अब तक 340 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, इसकी तुलना में 78.6 मिमी ही बारिश हुई है. चतरा में सामान्य से 69, गोड्डा में 60, जामताड़ा में 61, पाकुड़ में 67, पलामू में 50 फीसदी से कम बारिश हुई है|

राज्य में आम तौर पर 15 जुलाई से रोपा शुरू होता है| इससे पूर्व धान का बिचड़ा तैयार किया जाता है| किसानों ने शुरुआती बारिश का लाभ उठाते हुए बिचड़ा तो लगा लिया है, लेकिन उसकी बढ़वार धीमी है| करीब 21 दिनों का बिचड़ा तैयार होने के बाद रोपाई लायक होता है| रोपाई का काम झारखंड में आम तौर पर अगस्त माह के पहले सप्ताह तक होता है|

जुलाई के पहले हफ्ते तक धनबाद जिला अंतर्गत पूर्वी टुंडी के कोपली, डोरवाडीह, बामनबाद, भोजपुर, असुरबांध, चेपकिया, दुमा, बारकेतनी, तिलयबाद, सोहनाद, पालोबेड़ा आदि जगहों पर धान रोपनी कार्य युद्ध स्तर पर रहता है| लेकिन अच्छी बारिश नहीं होने से अब इन जगहों पर सन्नाटा पसरने लगा है|

बारिश का मौसम शुरू हो चुका है, लेकिन किसानों के खेत अब भी सूखे पड़े हैं| काफी संख्या में क्षेत्र में ऐसे कृषक हैं, जिनके पास सिंचाई की सुविधा नहीं और उनके लिए कृषि कार्य पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं| शुरुआती दिनों में हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खेती की तैयारी शुरू कर दी थी| जिन किसानों ने खेत में धान के बीज डाले थे उन्होंने अपने खेतों में जुताई भी कराई थी| ऐसे किसान अब भी अच्छी बारिश का होने का इंतजार कर रहे हैं|

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