महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक राज्य में किसानों की आत्महत्या का जारी आंकड़ा दहलाने वाला है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में अन्नदाता आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।यही वजह है कि आत्महत्या के मामले देखे जा रहे हैं। एक खुलासे में कर्नाटक के राजस्व विभाग ने बताया है कि पिछले 15 महीनों में विभिन्न जिलों में 1,182 किसानों ने आत्महत्या की है। इन आत्महत्याओं के लिए मुख्य कारणों में भयंकर सूखा, फसल का नुकसान और भारी कर्ज शामिल हैं।
केंद्र सरकार देश के किसानों का आर्थिक संकट दूर करने के लिए सालाना 6 हजार रुपये कैश के रूप में दे रही है। जबकि, अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभ और सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। पीएम किसान पोर्टल के अनुसार राज्य के लाभ पाने वाले किसानों की संख्या 49,65,327 है. मई 2024 में कर्नाटक में सूखा को लेकर आई रिपोर्ट में राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा के हवाले से कहा गया कि 33 लाख से अधिक सूखा प्रभावित किसानों के मुआवजा पाने के लिए आवेदन पहुंचे थे। इस तरह से देखें तो राज्य के 49 लाख किसानों में से 33 लाख किसान सूखे से प्रभावित रहे।
जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक के जिन जिलों में किसानों के आत्महत्या करने की खबरें हैं उनमें बेलगावी 122, धारवाड़ 101,हावेरी 120चिकमगलूर 8, मैसूर 64, शिमोगा 66,कलबुर्गी 69
यादगिरी 68, दावणगेरे 43
चित्रदुर्ग 36, विजयनगर 37,
हसन 47,मांड्या 45
बीदर 36,विजयपुरा 57
बागलकोट 19,रायचूर 18
बेल्लारी 19,कोप्पला 30,
गडग 32, दक्षिण कन्नड़ 6,
कोडागु 6,चामराजनगर 2,
रामनगर 9,तुमकुर 22,
चिक्काबल्लापुर 2, उत्तर कन्नड़ 6 हैं।