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बांसमती चावल जैसी सुगंध वाली सोयाबीन की नई किस्म

भारत में एक बड़े हिस्से में किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। मध्यप्रदेश के किसान सोयाबीन की खेती में आगे हैं। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की ऐसी किस्म तैयार की जिसको उबालने पर बांसमती चावल जैसी सुगंध आती है। इस किस्म की सोयाबीन साठ से पैंसठ दिनों में तैयार हो जाती है।

बताया गया है कि सब्जी सोयाबीन के कच्चे हरे दाने दाल-तिलहन वाली सोयाबीन के दानों से बड़े आकार के होते हैं। साथ ही ये खाने में अधिक मिट्ठे भी लगते है। विशेषज्ञों का कहना है कि सब्जी सोयाबीन खाने के बाद आसानी से पच जाता है। इसका सेवन करने से मधुमेह रोगियों को काफी फायदा होता है। इसमें उपलब्ध आइसोफ्लेवोन तत्व कैंसर, हड्डी क्षय एवं हृदय रोग से प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। सब्जी सोयाबीन में प्रोटीन भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।

जानकारों का कहना है कि सब्जी सोयाबीन की खेती के लिए 26-30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना गया है। उच्च हाई ह्यूमिडिटी सब्जी सोयाबीन पौधों की तेजी से विकास करने में मदद करती है। इसकी खेती के लिए खरीफ का मौसम सबसे अच्छा माना गया है।

सब्जी सोयाबीन की बुवाई का समय जुलाई महीने तक है। बुवाई करने से पहले खेत को 3 से 4 बार जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।वहीं, बुवाई से एक महीने पहले आप अम्लीय मिट्टी में 2.5 क्विंटल/हैक्टेयर की दर से चूना डाल सकते हैं। अगर खेत की मिट्टी अम्लीय नहीं है, तो फिर किसान खाद के रूप में गोबर और यूरिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। करीब 15 सेंमी. ऊंची एवं 60 सेंमी. चौड़ी क्यारियों पर इसकी बुआई करना बेहतर होता है। अगर आप क्यारियों पर पॉलीथिन मल्च का प्रयोग करते हैं, तो बंपर उपज मिलेगी।

सब्जी सोयाबीन की बुवाई के लिए दो प्रमुख किस्मों को बेहतर नतीजे वाला माना गया है। एचएवीएसबी-24: यह एक सुगंधित फलियों वाली किस्म है। इसकी हरी फलियों से निकले बीजों को गर्म पानी में पकाने के दौरान बासमती धान की तरह सुगंध निकलती है। यह कम अवधि वाली किस्म है और बुवाई के 60-65 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी हरी फलियों की उपज क्षमता 13-15 टन/हैक्टर है।

सोयाबीन की खेती में झारखंड में किसानों की पसंद है –स्वर्ण वसुन्ध्राः इस किस्म को आईसीएआर-आरसीईआर अनुसंधन केंद्र, रांची ने विकसित किया है। यह मुख्यतः 2-3 बीज वाली फलियां पैदा करती है। इसमें 50 फीसदी फूल आने में 40-45 दिन लगते हैं। हरी फलियां बुवाई के 75-80 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। हरी फली की उपज 12-15 टन/हेक्टेयर होती है।

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