सेब का सीजन शुरू होते ही बागवानों ने भाजपा सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। शिमला सेब बाहुल्य जिला परिषद सदस्यों ने बागवानों की समस्याओं को लेकर सरकार के खिलाफ़ उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। कार्टन और खाद के बढ़े हुए दाम और कीटनाशक पर सब्सिडी बंद होने से बागवान खासे परेशान हैं।
शिमला जिला परिषद सदस्य कौशल मुगटा ने कहा : जिला परिषद के सदस्यों ने सरकार को नींद से जगाने के लिए सांकेतिक प्रदर्शन किया| लेकिन अगर सरकार बागवानों की समस्या की तरफ़ ध्यान नहीं देती है तो बागवानी मंत्री का सचिवालय से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा सरकार के शासन में 2020 से फफफूंदीनाशक में सब्सिडी बंद की गई है।
सेब पैकिंग सामग्री में जीएस्टी लगाया गया जिसका बागवान विरोध कर रहे हैं। सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की बागवान मांग कर रहे हैं। जिला परिषद सदस्यों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावानी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने समय पर सेब बागवानों की समस्या का समाधान नहीं किया तो आंदोलन उग्र होगा।
रोहड़ङू संयुक्त सेब उत्पादकों का कहना है कि सेब की पैकेजिग सामग्री पर सरकार की ओर से छह प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाया गया है। इस कारण एक ट्रे बंडल का मूल्य 600 से 800 रुपये कर दिया गया है। राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश सचिव डा. विजय चौहान ने कहा कि खाली डिब्बों का मूल्य 50-55 रुपये से बढ़ाकर 75-80 रुपये तक कर दिया गया है। खाद, कीटनाशक व फंफूदनाशकों पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी लगाया जाता है और इन पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया गया है। इन कारणों से सेब की उत्पादन लागत बहुत अधिक हो गई है। संयुक्त सेब उत्पादक संघ ने एसडीएम चौपाल के माध्यम से सरकार को मांगपत्र भेजा।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में रोहड़ू और ठियोग में सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी पर बागवानों का गुस्सा फूटा है|संयुक्त किसान एकता मंच के बैनर तले सैकड़ों बागवान सड़क पर उतरे हैं|
प्रदर्शनकारियों ने सेब की पैकिंग सामग्री की कीमतें और GST कम करने की मांग की है|